नमो भारत की कमान बच्चों के हाथ… बाल दिवस पर एनसीआरटीसी का अनोखा तोहफा

नई दिल्ली: बाल दिवस पर दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जो न सिर्फ बच्चों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर गया, बल्कि यात्रियों को भी हैरान कर गया। एनसीआरटीसी ने स्कूली बच्चों को एक दिन के लिए नमो भारत ट्रेन का ‘कप्तान’ बना दिया। स्टेशन कंट्रोलर से लेकर टिकट वितरक, सिक्योरिटी इंचार्ज से अनाउंसर तक—हर भूमिका में बच्चे नजर आए।

स्टेशन पर पहुंचते ही बच्चों का जोरदार स्वागत हुआ। एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने उन्हें यूनिफॉर्म पहनाई, बैज लगाया और असली रोल सौंप दिया। एक बच्चा माइक थामे अनाउंसमेंट कर रहा था—“अगला स्टेशन आनंद विहार, कृपया दरवाजे की ओर सावधानी रखें।” तो दूसरा टिकट काउंटर पर यात्रियों को टिकट थमाते हुए मुस्कुरा रहा था। यात्रियों की आंखें फटी की फटी रह गईं। कोई सेल्फी ले रहा था, तो कोई वीडियो बना रहा था। एक यात्री बोले, “अरे, ये तो असली वाला अनाउंसमेंट है! बच्चे कमाल कर रहे हैं।”

एनसीआरटीसी के मार्गदर्शन में बच्चों ने जाना कि कैसे रोजाना हजारों यात्री तेज, सुरक्षित और आरामदायक सफर करते हैं। ट्रेन की तकनीक, सिग्नल सिस्टम, मेंटिनेंस—सब कुछ समझाया गया। बच्चों की जिज्ञासा देखते बनती थी। एक बच्चे ने पूछा, “सर, ट्रेन अपने आप रुकती कैसे है?” तो दूसरे ने सवाल किया, “सिक्योरिटी में कितने कैमरे हैं?”

खास बात यह कि दिव्यांग बच्चों का ग्रुप भी शामिल हुआ। गाजियाबाद से आनंद विहार तक नमो भारत में सफर किया। व्हीलचेयर के लिए रैंप, ब्रेल साइनेज, प्राथमिकता वाली सीटें—हर सुविधा की तारीफ की। एक दिव्यांग छात्रा ने कहा, “पहली बार लगा कि ट्रेन हमारे लिए भी बनी है।”

शिक्षकों ने एनसीआरटीसी की तारीफ करते हुए कहा, “यह सिर्फ मौज-मस्ती नहीं, बल्कि आधुनिक परिवहन की समझ है। बच्चे जीवनभर याद रखेंगे।” एनसीआरटीसी अधिकारियों का कहना है कि ऐसे आयोजन समुदाय को जोड़ते हैं और नमो भारत को सिर्फ ट्रेन नहीं, बल्कि सामाजिक हब बनाते हैं।

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