नजफगढ़ फायरिंग सुलझी: हिमांशु भाऊ गैंग के दो शूटर मुसूरी से गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली के द्वारका जिले के नजफगढ़ थाना क्षेत्र में अंधाधुंध फायरिंग की वारदात को पुलिस ने सुलझा लिया। एंटी-ऑटो थेफ्ट स्क्वाड (AATS) और एंटी-नारकोटिक्स सेल की संयुक्त टीम ने दो शार्प शूटरों को उत्तराखंड के मुसूरी से धर दबोचा। गिरफ्तार आरोपी विदेश में बैठे गैंगस्टर*हिमांशु उर्फ भाऊ और नवीन बाली के इशारे पर काम कर रहे थे। वारदात पुरानी जेल रंजिश से प्रेरित थी। पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए।

द्वारका जिले के डीसीपी अंकित सिंह ने बताया कि 28 अक्टूबर को अर्जुन पार्क, नजफगढ़ में पीसीआर कॉल मिली कि फायरिंग हुई है। मौके पर शिकायतकर्ता रोहित मौजूद था और सड़क पर 4-5 खाली कारतूस बिखरे पड़े थे। पूछताछ में रोहित ने बताया कि वह दोस्त के साथ सिगरेट पी रहा था, तभी एक ब्रेजा कार रुकी। कार से उतरे तीन लोग रोहित पर गोली चलाने लगे। जान बचाकर भागा रोहित। धारा 109(1)/3(5) बीएनएस और आर्म्स एक्ट 25/27 के तहत नजफगढ़ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।

वारदात की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर कमलेश कुमार और इंस्पेक्टर सुभाष चंद के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई। टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और मुखबिर सक्रिय किए। 30 अक्टूबर को गुप्त सूचना मिली कि दो आरोपी मुसूरी जा रहे हैं। तकनीकी निगरानी से पुष्टि कर टीम मुसूरी पहुंची। मुखबिर के सहयोग से दिचौन कलां निवासी मनीष उर्फ मोनी (27) और नजफगढ़ निवासी हिमांशु (22) को पकड़ लिया गया।

डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में खुलासा हुआ कि रोहित का दुश्मन दीपक झज्जर जेल में बंद था। जेल में झगड़े के बाद दीपक ने रिहा होते ही हिमांशु भाऊ से संपर्क किया। भाऊ भी रोहित को विरोधी गैंग से जोड़ता देख मारने का प्लान बनाया। दीपक ने मनीष-हिमांशु को रोहित की फोटो दी, कर किराए पर लेने को कहा और पैसे का लालच दिया। वारदात के बाद वे बहादुरगढ़ होते हुए फरार हुए। आरोपी सोशल मीडिया से भाऊ के संपर्क में थे। दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी है। दीपक और अन्य साथियों की तलाश में छापेमारी हो रही है।

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