बेहद गौरवशाली और समृद्ध है बिहार का इतिहास, सदियों पुरानी है यहां की संस्कृति

राष्ट्रीय जजमेंट

बिहार भारत का एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमा पूर्व और पश्चिम में क्रमशः पश्चिम बंगाल और उत्तर में नेपाल और उत्तर प्रदेश भारतीय राज्यों से लगती है। बिहार का इतिहास मानव सभ्यता के विकास से भी पहले का है। यह राज्य सनातन धर्म की पहली किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है। बिहार ने लंबे समय तक संस्कृति के केंद्र के रूप में कार्य किया है। गंगा नदी बिहार में बहती है, जोकि बिहार को दुनिया के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक बनाती हैं। बता दें कि बंगाल से अलग कर 22 मार्च 1912 को अंग्रेजों ने बिहार राज्य का गठन किया था। अंग्रेजों ने उस समय बिहार की राजधानी के रूप में पटना को चुना था। यहां पर अनगिनत संख्या में मंदिर और मठ मौजूद थे। सनातन संस्कृति से लेकर जैन, सिख और बौद्ध धर्म तक सभी ने अपने आप को समय के साथ फलता-फूलता और बेहतर होता पाया। जनसंख्या की दृष्टि से आज यह देश का तीसरा और क्षेत्रफल की दृष्टि से 12वां बड़ा राज्य है।प्राचीन काल से ही बिहार शिक्षा का केंद्र रहा है। यहां पर नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था। नालंदा यूनिवर्सिटी में उस दौरान फारस, ग्रीस, जापान, कोरिया और चीन जैसे देशों से छात्र शिक्षा प्राप्त करने आते थे। नादंना के पुस्तकालय में लाखों ग्रंथ थे। जिसमें 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी की सेना ने आग लगा दी थी। बताया जाता है कि इस पुस्तकालय में आग तीन महीनों तक जलती रही थी। इसके अलावा बिहार में ही विक्रमशिला यूनिवर्सिटी भी थी। यह दोनों विश्वविद्यालय बिहार की शिक्षा और ज्ञान का केंद्र थे।भाषाओं और बोलियों का संगमइसके अलावा बिहार अपनी भाषाओं की विविधता के लिए भी जाना जाता है। बिहार में मैथिली, हिंदी, भोजपुरी, मगही, अंगिका और वज्जिका जैसी भाषाएं बोली जाती हैं। राज्य की प्रमुख भाषाओं में से एक मैथिली को साल 2003 में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया था।जातीय जनगणनाकरीब डेढ़ साल पहले राज्य की जातीय जनगणना रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि राज्य में सबसे बड़ी आबादी अति पिछड़ा वर्ग की है, जोकि 36.01% है। इसके बाद ओबीसी की आबादी 27.12% है। जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में OBC और EBC मिलाकर कुल 63% आबादी पिछड़े वर्ग से आती है। वहीं अनुसूचित जातियों की संख्या 19.65% और अनुसूचित जनजातियां सिर्फ 1.68% है। राज्य में अगड़ी जातियों की हिस्सेदारी 15.52% है।बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। यह भारत के उन राज्यों में से एक है, जहां पर राजनीतिक गतिविधियां सबसे ज्यादा सक्रिय रहती हैं। विधानसभा की 243 सीटों पर जनता के वोटों द्वारा जनप्रतिनिधियों का चुनाव होता है। बिहार विधान सभा द्विसदनीय राज्य विधानमंडल का एक अंग है और इसका दूसरा सदन बिहार विधान परिषद है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। वहीं वर्तमान समय में बिहार में लोकसभा के कुल 40 सीटे हैं। इसके अलावा राज्य में कुल 16 सीटें राज्यसभा की है।बिहार अपनी संस्कृति से लेकर भाषा और रीति-रिवाजों तक जितना दिलचस्प है, उतनी ही दिलचस्प यहां की राजनीति भी है। वैसे तो बिहार में भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बोलबाला रहा है। लेकिन राज्य में अन्य क्षेत्रीय दल भी अपना वर्चस्व रखते हैं।राज्य विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियां शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। जिनमें जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी और भारतीय जनता दल शामिल हैं। राज्य में इन क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का भी बोलबाला बढ़ रहा है। इसके अलावा जनसुराज्य पार्टी भी अब नए दल के रूप में उभरकर सामने आ रहा है।

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