पुलिस ने किया फर्जी एनजीओ रैकेट का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार, बुजुर्ग से ठगे थे 16,600 रुपये

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने फर्जी डोनेशन और एनजीओ रजिस्ट्रेशन के जाल में फंसे लोगों को लूटने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश कर दिया। नॉर्थ जिले के साइबर पुलिस स्टेशन ने आगरा (यूपी) से तीन आरोपी युवकों को गिरफ्तार किया है। इनके चंगुल में फंसकर दिल्ली के आजाद मार्केट निवासी 76 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद यूनुस खान से 16,600 रुपये ठग लिए गए थे। मुख्य आरोपी ‘गोलू’ अभी फरार है, जिसकी तलाश तेज हो गई है।

डीसीपी नॉर्थ राजा बंथिया ने बताया कि मोहम्मद यूनुस खान ने एनसीआरपी पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि व्हाट्सऐप पर अज्ञात नंबर से कॉल आया। फोन करने वाले ने गरीबों व बुजुर्गों की मदद के नाम पर डोनेशन मांगा। साथ ही, एनजीओ रजिस्ट्रेशन कराने का लालच दिया और हर महीने 50,000 रुपये की कमाई का वादा किया। भरोसा करके यूनुस ने रजिस्ट्रेशन व प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 16,600 रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद फोन करने वाले गायब हो गए। 8 सितंबर 2025 को साइबर पुलिस स्टेशन नॉर्थ में धारा 318(4) बीएनएस के तहत एफआईआर दर्ज हुई।

साइबर थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर रोहित गहलोत व एसीपी विदूषी कौशिक के मार्गदर्शन में एएसआई संदीप, एचसी विनीत व एचसी धर्मेंद्र की टीम ने वित्तीय लेन-देन व तकनीकी सर्विलांस से आरोपी तक पहुंच बनाई। 11 अक्टूबर को आगरा में छापेमारी कर पहला आरोपी मनीष बिस्वास (19 वर्ष) पकड़ा गया, जिसका बैंक खाता फ्रॉड का लाभार्थी था।

पूछताछ में मनीष ने खुलासा किया कि मंथन कुमार (23 वर्ष) व प्रिंस उर्फ कालू उर्फ कमलेश (20 वर्ष) ने उसे ‘कंपनी फंड रिवाइव’ के बहाने खाता खुलवाया। उसी दिन मंथन व प्रिंस को भी दबोच लिया गया। प्रिंस ने बताया कि मुख्य हैंडलर गोलू ने उसे म्यूल अकाउंट्स मुहैया कराने के लिए पैसे का लालच दिया। गोलू आगरा के ही रहने वाला है। अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।

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