एनसीबी अफसर बनकर लूटा लाखों, ’डिजिटल अरेस्ट’ गैंग का पैन-इंडिया नेटवर्क ध्वस्त, 19 लाख की ठगी का खुलासा

नई दिल्ली: दिल्ली के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट साइबर थाना पुलिस ने एक बड़े ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर क्राइम सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है, जो पूरे देश में एनसीबी अधिकारियों बनकर लोगों को लूट रहा था। पांच शातिर ठगों को दिल्ली और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया। शिकार बनी एक महिला से 19 लाख 92,921 रुपये की ठगी हुई। पुलिस ने 14 मोबाइल फोन, 40 चेकबुक, 33 सिम कार्ड, 15 कंपनी स्टैंप, 22 स्टैंप पेपर, 19 डेबिट कार्ड, 14 पैन कार्ड, 7 डिजिटल सिग्नेचर, इंटरनेट बैंकिंग डिवाइस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वैप मशीन, आईडीएफसी बैंक स्कैनर और एक लग्जरी कार जब्त की। नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल के अनुसार, बरामद चेकबुक से जुड़े खाते 473 शिकायतों से लिंक हैं, जिनमें 2025 में दिल्ली के 24 मामले शामिल हैं। एक आरोपी पहले ही प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर था।

डीसीपी सेंट्रल निधिन वल्सन ने बताया कि शिकायतकर्ता महिला को फोन आया, जिसमें कॉलर ने खुद को एनसीबी अधिकारी और बाद में डीसीपी बताया। धमकी दी गई कि उसके आधार कार्ड से अपराध हुए हैं और गिरफ्तारी होगी। धोखेबाजों ने स्काइप पर फर्जी एनसीबी आईडी कार्ड और लेटर दिखाए। डराने के बाद बैंक डिटेल, डेबिट कार्ड इमेज और ओटीपी मांगे। पहले आईसीआईसीआई अकाउंट से 89,286 रुपये ट्रांसफर करवाए, फिर बिना बताए 19,92,921 रुपये के पर्सनल लोन को पीएनबी अकाउंट में भेज दिया। सेंट्रल साइबर थाने में आईपीसी धारा 170/420/120बी के तहत एफआईआर दर्ज हुई।

एसीपी सुलेखा जगड़वार की निगरानी में इंस्पेक्टर संदीप पंवार की टीम ने तकनीकी सर्विलांस, सीडीआर/आईपीडीआर विश्लेषण और ग्राउंड इंटेल से 23 सितंबर को लोकेश गुप्ता को मुकुंदपुर से पकड़ा। पूछताछ में खुलासा हुआ कि मेरठ में लोकेज इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड और अजलोक सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड जैसी शेल कंपनियां खोली गईं। लोकेश को 1.5 लाख रुपये मिले। उसके बयान पर 25 सितंबर को मनोज चौधरी को हापुड़ से गिरफ्तार किया। मनोज के इशारे पर 26 सितंबर को मोहित जैन उर्फ रिंकू और केशव कुमार को ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी मॉल से धर दबोचा। मोहित के संकेत पर शाहदरा से सैफ अली को पकड़ा, जो शेल फर्म और अकाउंट खोलने में माहिर था और 7 लाख रुपये कमा चुका था।

डीसीपी ने कहा कि गैंग शेल फर्म बनाकर म्यूल अकाउंट खोलता था। मोहित ने कबूला कि ठगी के 2-3% कमीशन म्यूल होल्डर्स को बांटे जाते। पुलिस बाकी सदस्यों को पकड़ने और नेटवर्क तोड़ने में जुटी है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे स्कैम बढ़ रहे हैं, जहां फर्जी अधिकारी वीडियो कॉल पर धमकाते हैं।

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