प्रधान को प्लास्टिक दो और पैसे लो! राजपुर गांव की प्रियंका तिवारी ने अपने ‘ससुराल को स्‍वर्ग’ बना दिया

राष्ट्रीय जजमेंट

हाथरस के छोटे से गांव राजपुर की युवा प्रधान प्रियंका तिवारी पर शायर तासीर सिद्दीकी की ये पंक्तियां पूरी तरह फिट बैठती हैं। 5 साल पहले 2020 में प्रियंका की शादी राजपुर गांव में हुई। गांव की गंदगी और कूड़ा-कचरा देखकर वह काफी उदास हुईं। उन्‍होंने अपने गांव की दशा बदलने की ठान ली। 2021 में पंचायत चुनाव में खड़ी हुईं। किस्‍मत ने साथ दिया और वह भारी वोटों से जीतकर गांव की प्रधान बन गईं। अधिकार मिलते ही प्रियंका ने अपने नहीं बल्कि गांव के बारे में सोचा। प्रधान पद की शपथ लेते समय उन्‍होंने गांव को पॉलीथिन मुक्त कराने का संकल्प लिया। आज उनका गांव चकाचक चमक रहा है। हर तरफ प्रियंका तिवारी के काम की सराहना हो रही है। उनको कई पुरस्‍कार मिल चुके हैं।एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में प्रियंका तिवारी ने बताया कि गांव में जब मैने देखा कि काफी कचरा और गंदगी रहती थी। तभी मैंने सोचा कि कुछ करना है। मैंने गांव में अंत्येष्टि स्थल, लाइब्रेरी और पंचायत घर का निर्माण कराया है। पूरे गांव में 45 सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं।महिलाओं की टोली बनाकर पूरे गांव में जाती हैं प्रधान
प्रियंका तिवारी गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर गांव को पालीथिन मुक्त कराने की राह पर चल पड़ी हैं। वह महिलाओं के साथ टोली बनाकर जागरूकता फैला रही हैं। प्रधान घर-घर जाकर पॉलीथिन के दुष्परिणाम के बारे में बता रही हैं। सभी लोगों को कपड़े के थैले का प्रयोग करने के लिए जागरूक कर रही हैं।
500 से लेकर 1500 तक जुर्माना
प्रियंका तिवारी ने गांव में पॉलीथिन का उपयोग करने वालों पर जुर्माने का प्रावधान भी किया है। पहली बार पॉलीथिन का उपयोग करने पर पकड़े जाने पर 5 सौ रुपये, दूसरी बार 1 हजार रुपये वही तीसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना बढ़कर डेढ़ हजार रुपये तक लगाया जाएगा।
राजपुर गांव में 75 फीसद पॉलीथिन कचरा में गिरावट
गांव को पॉलीथिन मुक्त कराने के लिए एक नया तरीका भी खोज निकाला है। प्लास्टिक प्रधान को दो और रुपये लो। नतीजन राजपुर गांव से करीब 75 फीसदी पॉलीथिन कचरा में गिरावट आई है। प्रियंका तिवारी की इस पहल के लिए पंचायती राज विभाग ने नेशनल अवॉर्ड के लिए ग्राम पंचायत राजपुर का नाम केंद्र सरकार को भेजा है। वहीं, यूनिसेफ पुरस्कार के लिए भी ग्राम पंचायत का नाम आगे बढ़ाया गया है।

गांव में लगवाया वेस्‍ट मैनेजमेंट यूनिट
प्रधान ने बताया कि सभी को गांव में बोल दिया था कि प्लास्टिक इकट्ठा करिए हम बायबैक करेंगे। पंचायत में प्लास्टिक बैंक भी स्टॉल किए थे। सफाई कर्मचारी प्लास्टिक को इकट्ठा कर RRG सेंटर ले जाते थे। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट लगाने के लिए सरकार से 16 लाख रुपये मिलते हैं। हमने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट बनाया। 3 मशीन लगाए है। काम के लिए लोग रखे हैं। इस काम के लिए मुझे दो बार सीएम अवॉर्ड मिला है। फिक्की और यूनिसेफ की तरफ से वुमन चेंज अवार्ड भी मिला है। इसके अलावा यशस्वी प्रधान का भी अवार्ड मिला है।मीडिया में काम कर चुकी हैं प्रियंका
प्रियंका तिवारी के पिता आर्मी में थे। उनका जन्म जोधपुर राजस्थान में हुआ। वहीं से पढ़ाई की। फिर दिल्ली से मास कम्‍युनिकेशन का कोर्स किया। मीडिया में नौकरी की। इसके बाद कुछ समय तक पॉलिटिकल पार्टी और मैगजीन के साथ फ्रीलांसर के रूप में जुड़ी रहीं।

गांव की महिलाएं करती हैं जमकर तारीफ
राजपुर गांव की महिलाएं अपनी युवा प्रधान प्रियंका तिवारी की जमकर तारीफ करती हैं। महिलाओं का कहना है कि हमारे गांव को पॉलीथिन से मुक्त करने की जो सोच और सपना हमारी ग्राम प्रधान ने देखा है वह पूरा होता दिखाई दे रहा है। हमारा गांव है। इसको साफ स्वच्छ रखा हमारी जिम्मेदारी है। प्रधान की इस पहल की काफी सराहना हो रही है और लोग पॉलीथिन के उपयोग से तौबा कर रहे है।

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