चार साल बाद आईटीबीपी कांस्टेबल परीक्षा लीक का पर्दाफाश: तीन डायरेक्टर्स समेत पांच गिरफ्तार, कोलकाता से दिल्ली तक फैला था रैकेट

नई दिल्ली: देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली इंडो-तिब्बेटन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया था, तो लाखों उम्मीदवारों का भविष्य दांव पर लग गया। चार साल पुराने इस कांड को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अब सुलझा लिया है। पूर्वी रेंज की सेकेंड यूनिट की टीम ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्री (आईआईपी) के तीन डायरेक्टर्स समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। कोलकाता से तीन बड़े मास्टरमाइंड्स को धर दबोचा गया, जबकि दिल्ली से कंसल्टेंट और प्रिंटर को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया।

यह मामला 2021 का है, जब आईटीबीपी ने कांस्टेबल (ट्रेड्समैन) भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की थी। लेकिन परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्न पत्र व्हाट्सएप पर वायरल हो गया। आईटीबीपी के सीनियर अफसरों तक पहुंचा यह पेपर असली प्रश्न पत्र से मैच कर गया। आंतरिक जांच में पुष्टि हुई कि लीक हो चुका था, और मामला दर्ज कर लिया गया। अब, चार साल बाद, क्राइम ब्रांच ने पूरे गिरोह का पर्दाफाश कर दिया है।

कैसे हुआ पेपर लीक?

10 जनवरी 2021 को सुबह 11 से दोपहर 12 बजे तक 13 शहरों के 81 सेंटर्स पर 46,174 उम्मीदवारों ने परीक्षा दी। आईआईपी नाम की कोलकाता आधारित कंपनी को टेंडर देकर परीक्षा आयोजित करने का जिम्मा सौंपा गया था। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, कंपनी प्रश्न पत्र सेट करना, प्रिंट करना, ओएमआर शीट डिजाइन करना, परीक्षा आयोजित करना, स्कैनिंग करना और गोपनीयता बनाए रखना—सब कुछ खुद संभालने के लिए बाध्य थी। लेकिन कंपनी ने इसे आउटसोर्स कर दिया, जो कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन था।

शिकायत आईटीबीपी के कमांडेंट कुशल कुमार ने लोधी कॉलोनी थाने में दर्ज की। उन्होंने बताया कि एवरग्रीन प्लाजा, 117 बैरकपुर ट्रंक रोड, कोलकाता स्थित आईआईपी ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए यह जिम्मेदारी हासिल की थी। लेकिन परीक्षा से ठीक पहले प्रश्न पत्र लीक हो गया। व्हाट्सएप पर फैला यह पेपर उम्मीदवारों के बीच बिकने लगा। आईटीबीपी की जांच में साफ हो गया कि लीक आईआईपी के स्तर पर ही हुआ। इसके बाद आईपीसी की धारा 409, 420, 120-बी और 34 के तहत एफआईआर दर्ज हुई।

चार साल की मेहनत रंग लाई

क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की तो आईटीबीपी और आईआईपी से जवाब मांगे। कॉन्ट्रैक्ट, एमओयू जैसे दस्तावेज जब्त किए। कंपनी के कर्मचारियों से पूछताछ की गई। एक कर्मचारी ने खुलासा किया कि डायरेक्टर अमिताभ रॉय और उसके साथी ही लीक के जिम्मेदार हैं। कंपनी ने परीक्षा प्रक्रिया को एक अन्य फर्म को सौंप दिया था। नोटिस जारी होने के बावजूद डायरेक्टर्स ने जांच में सहयोग नहीं किया।

ईआर-आईआई यूनिट ने इंस्पेक्टर उमेश साती (आईओ), एसआई राहुल, एचसी विकास और एचसी भूपेंद्र की टीम गठित की। एसीपी कैलाश चंद्र शर्मा के निर्देशन और डीसीपी क्राइम के पर्यवेक्षण में ऑपरेशन चला। 19 सितंबर 2025 को कोलकाता में डायरेक्टर्स से पूछताछ हुई। वे जांच में गुमराह करने की कोशिश करते रहे। गैर-सहयोग पर अमिताभ रॉय, सुबेंदु कुमार पॉल और जयदीप गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया गया। 20 सितंबर को सीलदाह कोर्ट में पेश किया, जहां 48 घंटे का ट्रांजिट रिमांड मिला। बाद में दिल्ली कोर्ट ने पुलिस कस्टडी दी।

कस्टडी में पूछताछ से कंसल्टेंट और प्रिंटर की भूमिका सामने आई। 24-25 सितंबर की दरमियानी रात को रोहित राज (कंसल्टेंट) और धर्मेंद्र (प्रिंटर) को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। दोनों ने भी सहयोग नहीं किया। पुलिस का कहना है कि अन्य लोगों की भूमिका की जांच जारी है।

सरकारी टेंडर के लालच में पढ़े-लिखे पांच आरोपी अपराध के दलदल में फंस गए हैं। पुलिस के अनुसार, इन लोगों ने प्रश्न पत्रों की छपाई और हैंडलिंग के दौरान उन्हें लीक कर दिया। गिरफ्तार पांचों आईआईपी से जुड़े थे। तीन डायरेक्टर्स कोलकाता के, जबकि दो दिल्ली के हैं। आरोपियों में 61 वर्षीय अमिताभ रॉय, कोलकाता के मेरुजीन हाउसिंग कॉम्प्लेक्स निवासी, जो बीएससी, पोस्टग्रेजुएट और मैनेजमेंट डिप्लोमा धारक हैं, 2015 से आईआईपी के डायरेक्टर हैं। 58 वर्षीय जयदीप गोस्वामी, दुर्गापुर के बिधाननगर निवासी, बीफार्म और एमबीए डिग्रीधारी, 2014 से डायरेक्टर हैं। 51 वर्षीय सुबेंदु कुमार पॉल, कोलकाता के ठाकुरपुकुर निवासी, बीए डिग्रीधारी, 2016 से डायरेक्टर हैं। वहीं, दिल्ली के 38 वर्षीय रोहित राज, जनकपुरी निवासी, बीकॉम (ऑनर्स) के साथ 2020 से कंसल्टेंट, और 38 वर्षीय धर्मेंद्र, वशिष्ठ पार्क निवासी, बीकॉम (ऑनर्स) धारक, आईआईपी के लिए प्रिंटर हैं। पुलिस का कहना है कि इनकी शिक्षा और पेशेवर हैसियत के बावजूद, इन्होंने लालच में आकर यह गंभीर अपराध किया। मामले की जांच जारी है।

डीसीपी विक्रम सिंह ने बताया, “यह गिरफ्तारी केवल शुरुआत है। हम पूरे नेटवर्क को उजागर करेंगे। लीक के अन्य लिंक और शामिल लोगों का पता लगाया जा रहा है।” आईटीबीपी ने भी इस कार्रवाई की सराहना की है। एक अधिकारी ने कहा, “ऐसी घटनाएं हमारी भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। पुलिस ने जो किया, वह सराहनीय है।”

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