गल्फ में नौकरी का लालच देकर युवाओं को फंसाया: दिल्ली पुलिस ने 148 पासपोर्ट जब्त कर मास्टरमाइंड को सलाखों के पीछे भेजा

नई दिल्ली : विदेशी नौकरियों के नाम पर बेरोजगार युवाओं को ठगने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बड़ा धावा बोला है। चाणक्यपुरी स्थित इंटर-स्टेट सेल (ISC), क्राइम ब्रांच की टीम ने अवैध मैनपावर एजेंसी ‘आई.के. मैनपावर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ के मैनेजिंग डायरेक्टर इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से 145 भारतीय और 3 नेपाली, कुल148 पासपोर्ट समेत कई आपराधिक साक्ष्य बरामद हुए हैं।

यह मामला एक पीड़ित महिला की शिकायत से शुरू हुआ, जिसने विदेशी नौकरी का लालच देकर 75,000 रुपये ऐंठ लिए गए थे। महिला को कुवैत में फंसा दिया गया, जहां भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप से उसकी जान बची। क्राइम ब्रांच के इस त्वरित एक्शन ने एक बार फिर दिल्ली पुलिस की सतर्कता को साबित कर दिया है, जो अवैध प्रवास और धोखाधड़ी के खिलाफ लगातार जंग लड़ रही है।

धोखे की चेन कैसे चली?

घटना की जड़ें दिल्ली के जनकपुरी इलाके में हैं, जहां नंगली जलीब के पास जनकपुरी ईस्ट मेट्रो स्टेशन के निकट अवैध रूप से संचालित हो रही इस एजेंसी ने सैकड़ों युवाओं को फंसाया। मटियाला गांव, उत्तम नगर निवासी इमरान खान (36 वर्ष) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक विज्ञापनों के जरिए अपनी एजेंसी को प्रमोट किया। ‘सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, बहरीन, ओमान, ईरान और इराक जैसे गल्फ देशों में हाई-पेइंग जॉब्स’ का लॉलीपॉप दिखाकर बेरोजगार युवक-युवतियों को लुभाया जाता। संपर्क करने पर टेली-कॉलर्स उनसे बातें करते और इमरान के निर्देशों पर उन्हें जाल में फंसा देते।

पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में विस्तृत बयान दिया कि कैसे उसे विदेशी नौकरी का वादा किया गया, पैसे ऐंठे गए, लेकिन वह कुवैत में बिना नौकरी के फंस गई। भारतीय दूतावास की मदद से लौटी महिला की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने तुरंत संज्ञान लिया। जांच में पता चला कि इमरान की एजेंसी के पास विदेश मंत्रालय या श्रम मंत्रालय से कोई वैध लाइसेंस नहीं था। वह पासपोर्ट एक्ट की धारा 12, इमिग्रेशन एक्ट 1983 की धारा 24 और IPC की धारा 420 के तहत अपराध कर रहा था।

अनुमानित अपराधों की आशंका पर क्राइम ब्रांच ने इंस्पेक्टर सतेंद्र पूनिया और इंस्पेक्टर सोहनलाल आईएससी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। टीम में एसआई नीरज, राकेश, राकेश शर्मा, संजय, एचसी अशीष, रविंदर, विक्रम, दलवीर और कांस्टेबल रवि व अंकित शामिल थे। एसीपी रमेश लांबा आईएससी/क्राइम ब्रांच के पर्यवेक्षण में यह रेड शनिवार को अंजाम दी गई।

रेड के दौरान इमरान को उसके ऑफिस में 9 टेली-कॉलर्स के साथ पकड़ा गया। वह कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सका। उसके पास रखे 148 पासपोर्टों का कोई कानूनी आधार नहीं था। ये पासपोर्ट बरामद होते ही पुलिस ने उन्हें जब्त कर लिया। पूछताछ में इमरान ने कबूल किया कि वह धीरे-धीरे ठगों के गिरोह में फंस गया और बीएससी पास होने के बावजूद अपनी मामूली पारिवारिक पृष्ठभूमि से प्रेरित होकर इस अवैध धंधे में उतर आया।

पुष्प विहार स्थित क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज कर लिया गया है। धोखाधड़ी, इमिग्रेशन एक्ट के उल्लंघन और पासपोर्टों की अवैध कब्जे के आरोप लगाए गए हैं। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने बताया, “यह गिरफ्तारी न केवल एक व्यक्ति को सजा देने का माध्यम है, बल्कि पूरे रैकेट को नेस्तनाबूद करने की दिशा में बड़ा कदम है। हम अन्य पीड़ितों की तलाश, पासपोर्ट धारकों की जांच, मनी ट्रेल का पता लगाने और नेटवर्क को उजागर करने पर काम कर रहे हैं।”

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