दिल्ली से कानपुर तक छापेमारी, दिल्ली पुलिस ने आठ साल से छिपे 25 अवैध बांग्लादेशियों को दबोचा

नई दिल्ली: दिल्ली की दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन में सफलता हासिल की है। पुलिस की विशेष ‘बांग्लादेशी सेल’ ने दिल्ली से दो और उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में छापेमारी कर 23, कुल 25 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। जिनमें 10 पुरुष, 10 महिलाएँ, 5 बच्चे शामिल हैं। ये सभी पिछले आठ वर्षों से भारत में बिना वैध दस्तावेज़ों के रह रहे थे।

दक्षिण-पूर्व जिला के एडिशनल डीसीपी ऐश्वर्या शर्मा ने बताया कि जिला की ‘बांग्लादेशी सेल’ ने गुप्त सूचना के आधार पर यह ऑपरेशन शुरू किया। सब-इंस्पेक्टर कंवलजीत और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर बृजेश के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसमें हवलदार वेदप्रकाश, अरुण, मोहित, राजेश और महिला हवलदार ज्योति बंसल शामिल थे। इस टीम ने दिल्ली की झुग्गी-बस्तियों, मज़दूर बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में गहन दस्तावेज़ सत्यापन अभियान चलाया।

इसी दौरान दिल्ली से दो बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया, जिनकी पहचान हसन शेख (35 वर्ष) और अब्दुल शेख (37 वर्ष) के रूप में हुई। दोनों भाई हैं और बांग्लादेश के सतखेड़ा जिले के मोनिपुर गाँव के निवासी हैं। पूछताछ में दोनों ने खुलासा किया कि वे पश्चिम बंगाल के खुलना बॉर्डर से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनके रिश्तेदार और सहयोगी उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में रह रहे हैं।

कानपुर देहात में रातोंरात छापेमारी

20 सितंबर की रात को पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कानपुर देहात में छापेमारी की। इस ऑपरेशन में 23 अन्य अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। इस तरह कुल 25 लोग पकड़े गए, जिनमें 10 पुरुष, 10 महिलाएँ और 5 बच्चे शामिल हैं। सभी को दिल्ली के सराय काले खाँ स्थित एमसीडी सामुदायिक अस्थायी निरोध केंद्र में भेजा गया है, जहाँ से इन्हें कानूनी प्रक्रिया के बाद बांग्लादेश वापस भेजने की तैयारी चल रही है।

प्रारंभिक जाँच में पता चला कि ये सभी व्यक्ति अकुशल मज़दूर हैं, जो भारत में कबाड़ी, खेतिहर मज़दूरी या अन्य दिहाड़ी कार्यों में लगे थे। इनके पास भारत में रहने के लिए कोई वैध दस्तावेज़ या अनुमति नहीं थी। पुलिस के अनुसार, ये प्रवासी संगठित नेटवर्क के जरिए भारत में प्रवेश करते हैं और फिर विभिन्न शहरों में फैल जाते हैं। इस नेटवर्क में दलाल और स्थानीय सहयोगी भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी जाँच अभी जारी है।

दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस की इस कार्रवाई को राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। एडिशनल डीसीपी ऐश्वर्या शर्मा ने बताया कि इस वर्ष उनकी टीम ने अब तक 235 अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़कर निर्वासित किया है। उन्होंने कहा, “हमारी टीम अवैध प्रवास के खिलाफ लगातार सतर्क है। यह कार्रवाई हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”

क्या है चुनौती?

अवैध प्रवास भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है। पश्चिम बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों से अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिक देश के विभिन्न हिस्सों में फैल जाते हैं। इनमें से कई जाली दस्तावेज़ों के सहारे आधार कार्ड, वोटर आईडी जैसे पहचान पत्र हासिल कर लेते हैं, जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ये लोग सस्ते श्रम के रूप में काम करते हैं, लेकिन इनकी मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थानीय संसाधनों पर दबाव डालती है।

पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य संभावित सदस्यों की तलाश में जुट गई है। साथ ही, यह जाँच की जा रही है कि इन प्रवासियों को भारत में प्रवेश और बसने में किन-किन लोगों ने मदद की। इस ऑपरेशन से मिली जानकारी के आधार पर भविष्य में और सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।

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