हिन्दी पखवाड़ा उत्सव: विद्योतमा फाउंडेशन दिल्ली ने ऑनलाइन कवि गोष्ठी में बिखेरी हिंदी की मिठास

नई दिल्ली: हिंदी पखवाड़े के अवसर पर विद्योतमा फाउंडेशन की दिल्ली शाखा ने एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें देश के कोने-कोने से कवियों ने अपनी भावपूर्ण रचनाओं से हिंदी भाषा की महिमा को गूंजायमान किया। इस आयोजन ने हिंदी के प्रचार-प्रसार और साहित्यिक समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संस्था की सभी शाखाओं द्वारा आयोजित इस तरह की काव्य गोष्ठियों ने हिंदी के प्रति उत्साह को और प्रबल किया है।

कवियों ने बांधा समां

ऑनलाइन मंच पर आयोजित इस काव्य गोष्ठी में दिल्ली सहित अन्य राज्यों के कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कविताओं का केंद्रीय विषय हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार रहा, हालांकि विभिन्न विषयों पर भी रचनाएं प्रस्तुत की गईं। काव्य पाठ में शामिल प्रमुख कवियों में सुनीता बंसल, किरण मिश्रा, अलका गुप्ता, प्रदीप मिश्र अजनबी, दीपमाला माहेश्वरी, सुरेखा शर्मा, मनोज कुमार कैन, पूर्णिमा ढिल्लन, मीना कौशल, आदित्य अस्थाना, वर्षा सिंह, सीमा शर्मा मंजरी, उषा गोयल, शशि त्यागी, रोहित पांडेय, सर्वज्ञात सिंह और मुनक्का मोर्या शामिल रहे।

हिंदी के प्रति समर्पण की गूंज

कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी की सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई को उजागर किया। शशि त्यागी की कविता, “हूं शारदा में चरणन, है मात स्वीकारो मेरा नमन-नमन,” ने मां सरस्वती के प्रति श्रद्धा और हिंदी के प्रति प्रेम को व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं सरोजिनी तन्हा ने अपनी कविता “गंगा सी अविरल बहे हिंदी की रसधार, अलंकार रस छंद मिल करते मंत्रोच्चार” से हिंदी की मधुरता को जीवंत किया। प्रदीप मिश्र अजनबी के गीत, “राष्ट्र समन्वय के सूत्रों की भाषा हिंदी है, अब हो राष्ट्र की भाषा राज की भाषा हिंदी है,” ने हिंदी को राष्ट्र की एकता का सूत्र बताया। वहीं, अदिति की कविता, “हिंदी भारत की है ये शान, हम सबका है अभिमान, जन-जन की यह बोली है, भारत की यह है पहचान,” ने हिंदी को भारत की पहचान के रूप में स्थापित किया।

आभार के साथ रचनात्मक समापन  

काव्य गोष्ठी का समापन वर्षा सिंह ने सभी कवियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए अपनी रचना *”ऑनलाइन शॉपिंग का किस्सा मजेदार”* के साथ किया, जिसने हल्के-फुल्के अंदाज में श्रोताओं का मनोरंजन किया। इस आयोजन में विद्योतमा फाउंडेशन के अध्यक्ष माननीय सुबोध मिश्र की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को और खास बनाया।

हिंदी के प्रति समर्पण का उत्सव 

विद्योतमा फाउंडेशन की यह काव्य गोष्ठी हिंदी पखवाड़े के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही। इसने न केवल हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया, बल्कि ऑनलाइन मंच के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों से कवियों और साहित्य प्रेमियों को एकजुट किया। यह आयोजन हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने और इसके सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करने में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

विद्योतमा फाउंडेशन ने हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। संस्था की विभिन्न शाखाओं द्वारा आयोजित इस तरह के आयोजन हिंदी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और इसे युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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