दिल्ली में आईएपीएमआर मिड-टर्म सीएमई 2025 का आगाज, दिव्यांग बच्चों व बुजुर्गों के लिए पुनर्वास पर जोर

नई दिल्ली: जीवन के हर पड़ाव पर पुनर्वास की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास चिकित्सा विशेषज्ञ संघ (आईएपीएमआर) के मिड-टर्म सीएमई 2025 का भव्य उद्घाटन हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ. सुनीता शर्मा और सर्जन वाइस एडमिरल आर्ती सारिन (एवीएसएम, वीएसएम), सशस्त्र बलों चिकित्सा सेवाओं की महानिदेशक ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। दोनों अतिथियों ने विशेषज्ञों व चिकित्सकों की सभा को संबोधित करते हुए नीतिगत दृष्टिकोण साझा किए, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में पुनर्वास को मजबूत करने पर केंद्रित थे। यह दो दिवसीय कार्यक्रम में डॉक्टरों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ 40 से अधिक शीर्ष विशेषज्ञों के व्याख्यान सुनने का अवसर मिलेगा।

दिव्यांग बच्चों व बुजुर्गों की चुनौतियां: राष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता

देश में विकलांग बच्चों की संख्या परिवारों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौती बनी हुई है, जबकि बुजुर्गों में चालने-फिरने संबंधी विकलांगता तेजी से बढ़ रही है। सरकारी नीतियां इन मुद्दों पर सक्रिय हैं, लेकिन चिकित्सा समुदाय को भी बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत है। पुनर्वास चिकित्सा (पीएमआर) के विशेषज्ञ इन जरूरतमंदों के साथ सीधे कार्यरत हैं। वर्तमान में देश में करीब 1,000 प्रशिक्षित पीएमआर विशेषज्ञ हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति भी पुनर्वास को किसी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम का अनिवार्य स्तंभ मानती है। सम्मेलन का विषय ‘पहले कदम से स्वर्णिम वर्षों तक: जीवन भर के पुनर्वास को बढ़ावा’ जीवन के हर चरण में पुनर्वास आवश्यकताओं की व्यापकता को दर्शाता है। पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.के. श्रीवास्तव और डॉ. एस.वाई. कोठारी ने भी भारत की पुनर्वास सेवाओं को मजबूत करने पर अपने विचार रखे।

चिकित्सा शिक्षा में पुनर्वास का समावेश: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की पहल  

चिकित्सा समुदाय इन मुद्दों के प्रति जागरूक हो रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने पीएमआर में एमडी स्तर का प्रशिक्षण मान्यता दी है तथा स्नातक चिकित्सा शिक्षा में पुनर्वास विषयों को शामिल किया है। आयोजन सचिव डॉ. प्रो. अजय गुप्ता ने नीति निर्माताओं का आभार जताते हुए कहा कि कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण ही चिकित्सा देखभाल को प्रौद्योगिकी व जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाए रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनसीआर क्षेत्र के सभी प्रमुख संस्थानों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सहभागिता भी रही, जिसमें ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड पुनर्वास चिकित्सा सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. स्टीवन फॉक्स ने स्ट्रोक पुनर्वास और दर्द प्रबंधन पर विकास साझा किए।

आईएपीएमआर के अध्यक्ष डॉ. मुरलीधरन पी.सी. ने कहा कि पीएमआर विशेषज्ञता ने लंबा सफर तय किया है तथा कार्यात्मक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और दिव्यांगजन आबादी के अधिकारों की वकालत में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने बताया कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद यह एक गतिशील, प्रतिस्पर्धी और पुरस्कृत क्षेत्र के रूप में उभरी है। यह सीएमई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ क्षेत्र में आयोजित हो रहा है, जहां नवाचार व वैश्विक चिकित्सा उत्कृष्टता का संगम होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजन पुनर्वास सेवाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

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