कैंसर के इलाज के लिए केजीएमयू में रोबॉटिक बायोप्सी जल्द, प्रोस्टेट कैंसर-फेफड़ों और थायरॉइड कैंसर में होगी कारगर

राष्ट्रीय जजमेंट

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कैंसर का इलाज अत्याधुनिक तकनीक पीईटी/सीटी-निर्देशित रोबॉटिक बायोप्सी से होगा। इसकी मदद से शरीर में मौजूद कैंसरग्रस्त गांठ या संदिग्ध हिस्से से बेहद सटीक तरीके से ऊतक का नमूना निकाला जा सकेगा। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के स्थापना दिवस पर सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में यह जानकारी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रकाश सिंह ने दी।कमांड हॉस्पिटल के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अनुराग जैन ने बताया कि पारंपरिक बायोप्सी में सीटी या अल्ट्रासाउंड के अनुसार सैंपल लिया जाता है। इसमें कई बार छोटे या गहराई में स्थित ट्यूमर छूट जाते हैं। पीईटी/सीटी-निर्देशित रोबॉटिक बायोप्सी में एटॉमिक इमेजिंग और रोबॉटिक तकनीक का मेल होता है। इससे उच्च चयापचय गतिविधि वाले घावों का पता लगाकर रोबॉटिक आर्म बेहद सटीक तरीके से सुई पहुंचाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक खासतौर पर प्रोस्टेट कैंसर , फेफड़ों, न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और थायरॉइड कैंसर जैसे मामलों में अत्यधिक कारगर होगी। पेट सिटी के साथ ही रोबॉटिक बायोप्सी होती है।केजीएमयू में यह जांच महज 10 हजार में होगी। निजी अस्पतालों में अब तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं, प्रदेश में केवल पीजीआई में ही सुविधा है। ऐसे में केजीएमयू में सुविधा शुरू होने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। हालांकि मैनपॉवर कम होने से सुविधा शुरू होने में दो महीने लग सकते हैं।’फिजियोथेरेपी से मरीजों की तेजी से होती है रिकवरी’हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी बीमारियों में फिजियोथेरेपी की भूमिका लगातार बढ़ रही है। इससे न केवल मरीजों को ऑपरेशन के बाद होने वाली विकृतियों से बचाना आसान हो गया है, बल्कि उनके जल्द स्वस्थ होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ये बातें केजीएमयू के फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग के डॉ. अरविंद सोनकर ने कहीं।विश्व फिजियोथेरेपी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ. सोनकर ने बताया कि फिजियोथेरेपी मरीजों को दर्द से राहत दिलाने, चोट और सर्जरी के बाद तेजी से सुधार, शारीरिक गतिशीलता, संतुलन सुधारने में मददगार साबित होती है। कार्यक्रम में मनमोहन, मानवेन्द्र सिंह, प्रणय सिंह, रविन्द्र गौतम, श्रद्धा वर्मा, हर्षिका श्रीवास्तव, आकांक्षा समेत कई फिजियोथेरेपिस्ट मौजूद रहे।

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