बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, डॉक्टर समेत 10 हिरासत में, 6 बच्चे बचाए

नई दिल्ली: दिल्ली के दक्षिण-पूर्व जिले की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने एक बड़े ऑपरेशन में बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों से बच्चों का अपहरण कर उनकी तस्करी करने वाले 10 सदस्यों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में सराय काले खां आईएसबीटी से अगवा किए गए 6 महीने के बच्चे को 48 घंटे के भीतर आगरा से बरामद किया गया, साथ ही पांच अन्य तस्करी किए गए बच्चों को भी विभिन्न स्थानों से बचाया गया।

दक्षिण-पूर्व जिले के डीसीपी हेमंत तिवारी ने बताया कि 22 अगस्त को बांदा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले सुरेश ने पुलिस को बताया कि वह अपने परिवार के साथ बेहरोर जा रहे थे और सराय काले खां आईएसबीटी के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर रुके थे। रात करीब 11 बजे उन्हें पता चला कि उनका 6 महीने का बच्चा गायब है। पुलिस थाना सनलाइट कॉलोनी में एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें धारा 137(2), 143(4), 3(5), 61(2) बीएनएस और 80 जेजे एक्ट के तहत जांच शुरू हुई।

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल स्टाफ़ और थाना सनलाइट कॉलोनी के स्टाफ़ की एक टीम बनाई गई, एसीपी मिहिर सकारिया और एडिशनल डीसीपी ऐश्वर्या शर्मा के मार्गदर्शन में इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई। जिसमें इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह डागर, एसआई चंचल, एसआई कृति, एसआई कविता, एसआई दीपक, एसआई शुभम चौधरी, एसआई मुनेश, एएसआई अनिल, एचसी राजेश, एचसी महेंद्र, एचसी विपिन, एचसी प्रेम, एचसी दीपराम, एचसी परवेश, सिपाही लखन, सिपाही सतवीर और महिला सिपाही संगीता शामिल थे। टीम ने आईएसबीटी के सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी निगरानी के आधार पर पहला सुराग पकड़ा और आरोपी वीरभान को आगरा के पिनहट से गिरफ्तार किया। पूछताछ में वीरभान ने अपने ससुर कालीचरण और रामबाबू के साथ मिलकर बच्चे को के.के. अस्पताल (आगरा) के मालिक डॉ. कमलेश को बेचने की बात कबूल की।

पुलिस ने चतुराई से ऑपरेशन चलाया। इंस्पेक्टर डागर ने दिल के मरीज का नाटक कर डॉ. कमलेश को पकड़ा, जिसने बच्चे को सुंदर नामक व्यक्ति को बेचने की बात बताई। सुंदर को यूपी-राजस्थान बॉर्डर पर 50 किमी तक पीछा कर पकड़ा गया। उसकी निशानदेही पर कृष्णा शर्मा और प्रीति शर्मा को आगरा से गिरफ्तार किया गया, जहां से 6 महीने का बच्चा बरामद हुआ। आगे की जांच में बिचौलिया रितु, ज्योत्सना, रचिता मित्तल उर्फ रुबीना अग्रवाल और निखिल कुमार को भी पकड़ा गया। इनके खुलासे के आधार पर लखनऊ और आगरा में छापेमारी कर 2 महीने, 10 दिन और 1 साल की उम्र के तीन अन्य बच्चों को बचाया गया। एक बच्ची को नैनीताल से भी बरामद किया गया।

डीसीपी ने बताया कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर सो रहे परिवारों को निशाना बनाता था। बच्चे अगवा कर उन्हें आगरा, फतेहबाद और अन्य जगहों पर बेचा जाता था। कुछ बच्चे बिचौलियों के जरिए दंपतियों को ऊंची कीमत पर बेचे गए। वीरभान, कालीचरण, प्रीति शर्मा और ज्योत्सना को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि सुंदर, कमलेश, रितु, कृष्णा और रचिता 7 सितंबर तक पुलिस हिरासत लिया। सुंदर और रितु का पहले से आपराधिक रिकॉर्ड है। पुलिस अभी भी फरार तस्करों की तलाश में है और जांच जारी है।

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