“विकास भी, विरासत भी” के साथ एनडीएमसी की नई शैक्षिक क्रांति, 15 शिक्षकों को सम्मान

नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर तालकटोरा स्टेडियम में न्यू दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) की महत्वाकांक्षी शैक्षिक पहल “विकास भी, विरासत भी” का शुभारंभ किया। इस पहल से एनडीएमसी के 28,000 से अधिक छात्रों को आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़ने का अवसर मिलेगा। इस मौके पर 15 उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “शिक्षक हमारे राष्ट्र के शिल्पकार हैं। उनके द्वारा बोए गए मूल्य और संस्कार बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं, जो भारत के भविष्य को आकार देंगे।” उन्होंने इस पाठ्यक्रम को आधुनिकता और परंपरा का अनूठा संगम बताया, जो छात्रों को योग, भारतीय दर्शन, पर्यावरण संरक्षण और नैतिक मूल्यों से जोड़ेगा। मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन और यमुना नदी की गरिमा बहाली पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा, “एनडीएमसी का यह पाठ्यक्रम विकास और विरासत के बीच संतुलन का प्रतीक है। यमुना को जीवन रेखा बनाने के लिए हमें इसे विरासत मानकर संरक्षित करना होगा।” सांसद बांसुरी स्वराज ने शिक्षकों को देश की संस्कृति के वाहक बताते हुए इस पहल को “संकल्प से सिद्धि” की दिशा में कदम बताया।

एनडीएमसी अध्यक्ष केशव चंद्रा ने बताया कि पाठ्यक्रम में योग, प्राचीन ज्ञान परंपराएं और पर्यावरण शिक्षा शामिल है। उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के सपने को साकार करेगी। ओएसडी (शिक्षा) रंजना देसवाल ने इसे परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण बताते हुए देशभर के लिए प्रेरणा का स्रोत करार दिया।

मुख्यमंत्री ने अटल आदर्श और नवयुग स्कूलों के 15 शिक्षकों, जिनमें मोनिका आनंद, रमा जोशी, रचना मोहन और नरेश कुमार शामिल हैं, को सम्मानित किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, स्कूल प्रमुख, शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।

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