दिल्ली में मोबाइल तस्करों पर एसटीएफ का शिकंजा: सीमा-पार गिरोह का सरगना समेत तीन पकड़े, 228 फोन बरामद

नई दिल्ली: दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी जिले की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक संगठित अंतरराज्यीय और सीमा-पार मोबाइल फोन तस्करी सिंडिकेट का भंडाफोड़ कर दिया। मंगलवार की शाम को सराय काले खां के वेस्ट टू वंडर पार्क के पास पुलिस ने रैकेट के सरगना सहित तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया हैं। जिनमें मुख्य सरगना 33 वर्षीय मोताहार शेख, 33 वर्षीय मोहम्मद गुलू शेख और 22 वर्षीय अब्दुल शमीम शामिल हैं। सभी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी है। पुलिस ने तीन देशी पिस्तौलें, 6 जिंदा कारतूस और तीन बैगों में भरे 228 महंगे मोबाइल फोन बरामद किए हैं। फोन की कीमत करीब एक करोड़ रुपये है। गिरोह चुराए गए फोन नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में ऊंचे दामों पर बेचता था।

दक्षिण-पूर्वी जिले के डीसीपी डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया कि यह रैकेट दिल्ली-एनसीआर में होने वाली मोबाइल स्नैचिंग और चोरी की वारदातों का बड़ा हिस्सा संभालता था। गिरोह के सदस्य स्थानीय चोरों और स्नैचर्स से महंगे स्मार्टफोन 5,000 से 30,000 रुपये की मामूली कीमत पर खरीदते थे। इन फोनों को दिल्ली में बेचने या इस्तेमाल करने के बजाय, तकनीकी निगरानी से बचने के लिए इन्हें तुरंत पश्चिम बंगाल भेजा जाता था। वहां फोन के आईएमईआई नंबर बदलने जैसी मॉडिफिकेशन प्रक्रिया के बाद इन्हें नेपाल और बांग्लादेश के अवैध बाजारों में बीस से साठ हजार रुपये प्रति फोन की कीमत पर बेचा जाता था।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि सरगना मोताहर शेख पिछले पांच सालों में एक लाख से ज्यादा चोरी के मोबाइल फोन की तस्करी में शामिल रहा। इस रैकेट ने दिल्ली में स्नैचिंग और लूट की वारदातों को बढ़ावा दिया, क्योंकि चोरों को चोरी के फोन के बदले तुरंत नकदी मिल जाती थी। मोताहर अपने दो सहयोगियों, मोहम्मद गुलु शेख और अब्दुल शमीम, के साथ मिलकर चोरी के फोन इकट्ठा करता और वाहकों व बिचौलियों के नेटवर्क के जरिए इन्हें सीमा पार भेजता था।

पिछले कुछ मामलों की जांच में पुलिस को पता चला था कि दिल्ली-एनसीआर में कई संगठित गिरोह चोरी के मोबाइल फोन की तस्करी में सक्रिय हैं। इस बढ़ते खतरे को देखते हुए दक्षिण-पूर्वी जिले ने एक विशेष अभियान शुरू किया। डीसीपी हेमंत तिवारी के निर्देश पर एसटीएफ की एक टीम गठित की गई, जिसकी अगुआई इंस्पेक्टर शिव कुमार और प्रभात चौहान ने की। इस टीम में एसआई कुलदीप सिंह, राजेश शर्मा, सिकंदर, एएसआई मुकेश कुमार, सचिन कौशिक, तरुण शर्मा, हेड कांस्टेबल मनोज कुमार, कपिल, भीम, कांस्टेबल वीरेंद्र सिंह भदारी और राहुल कुमार शामिल थे।

टीम ने कई हफ्तों तक तकनीकी और मैनुअल निगरानी के जरिए इस रैकेट के मुख्य खिलाड़ियों की पहचान की। 2 सितंबर को खुफिया सूचना मिली कि मोताहर शेख अपने दो साथियों के साथ भारी मात्रा में चोरी के मोबाइल फोन लेकर पश्चिम बंगाल भागने की फिराक में है। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने सराय काले खां के वेस्ट टू वंडर पार्क के पास जाल बिछाया। शाम 7:15 बजे, जैसे ही मोताहर और उसके साथी आईएसबीटी की ओर से आए, पुलिस ने उन्हें घेर लिया। तलाशी में उनके पास से तीन बैगों में भरे 228 हाई-एंड मोबाइल फोन, तीन देसी पिस्तौल और छह जिंदा कारतूस बरामद हुए। इस मामले में सनलाइट कॉलोनी थाने में आर्म्स एक्ट की धारा 25/54/59 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया है।

डीसीपी हेमंत तिवारी ने बताया कि इस रैकेट के पकड़े जाने से दिल्ली में मोबाइल स्नैचिंग और लूट जैसी सड़क अपराध की वारदातों पर काफी हद तक लगाम लगेगी। यह गिरोह न केवल दिल्ली में अपराध को बढ़ावा दे रहा था, बल्कि सीमा पार अवैध व्यापार को भी हवा दे रहा था। आरोपी मोताहर शेख 2020 में आसान और तेज कमाई के लालच में अवैध धंधों में उतरा था। शुरू में वह पश्चिम बंगाल के अन्य रिसीवर्स के लिए वाहक का काम करता था, लेकिन बाद में उसने खुद का रैकेट शुरू किया। मोहम्मद गुलु शेख, मोताहर का विश्वस्त सहयोगी था, जो चोरी के फोन इकट्ठा करने और तस्करी में मदद करता था। और अब्दुल शमीम इस रैकेट में वाहक की भूमिका निभाता था और मोताहर के लिए फोन ट्रांसपोर्ट करता था। पुलिस अब इस रैकेट के स्थानीय सप्लायर्स और विदेशी रिसीवर्स सहित अन्य कड़ियों की पहचान करने में जुटी है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं।

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