दिल्ल विश्वविद्यालय प्रशासन ने मानी एबीवीपी की मांगें, भूख हड़ताल समाप्त

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में छात्र हितों के लिए चल रहा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और एबीवीपी नेतृत्व वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का आंदोलन मंगलवार को उस समय समाप्त हो गया, जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र संगठनों की प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया। 21 जुलाई से शुरू हुए अनिश्चितकालीन धरने और 4 अगस्त से चली आ रही भूख हड़ताल के दबाव में प्रशासन ने आखिरकार झुकते हुए तीन अहम मांगों पर सहमति जताई।

एबीवीपी ने 21 जुलाई को ‘छात्र अधिकार मार्च’ के जरिए पीजी पाठ्यक्रमों में “एक कोर्स, एक फीस” नीति लागू करने, केंद्रीकृत हॉस्टल आवंटन प्रणाली स्थापित करने, सभी कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन और प्रभावी संचालन, तथा मनमानी फीस वृद्धि पर रोक की मांगें रखी थीं। धरने के पहले दिन प्रशासन ने केंद्रीकृत हॉस्टल प्रणाली की मांग मान ली थी, लेकिन अन्य मांगों पर चुप्पी साधे रखी। इसके विरोध में 4 अगस्त से एबीवीपी और डूसू पदाधिकारियों ने भूख हड़ताल शुरू की, जिसे व्यापक छात्र समर्थन प्राप्त हुआ।

छात्रों के बढ़ते दबाव और आंदोलन के प्रभाव को देखते हुए मंगलवार शाम डीयू प्रशासन ने एबीवीपी और डूसू पदाधिकारियों के साथ औपचारिक वार्ता की। इस दौरान प्रशासन ने “एक कोर्स, एक फीस” नीति, आईसीसी का गठन व प्रभावी क्रियान्वयन, और केंद्रीकृत हॉस्टल प्रणाली लागू करने की मांगों को स्वीकार कर लिया। मांगें पूरी होने के बाद एबीवीपी और डूसू ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।

डूसू सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने इसे पूरे छात्र समुदाय की जीत करार देते हुए कहा, “हमारी आवाज ने साबित किया कि छात्र शक्ति के आगे प्रशासन को झुकना पड़ता है। यह जीत हर उस छात्र की है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है।”

एबीवीपी के दिल्ली प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, “यह आंदोलन छात्र अधिकारों की पुनर्स्थापना की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। हम प्रशासन को चेतावनी देते हैं कि यदि स्वीकृत मांगों के अमल में ढिलाई बरती गई, तो एबीवीपी फिर से व्यापक आंदोलन छेड़ेगी।”

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