राष्ट्रीय जजमेंट
भारतीय वायुसेना (IAF) के उपप्रमुख एयर मार्शल नरमदेश्वर तिवारी ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के वायु ठिकानों और राडार स्थलों पर 50 से भी कम एयर-लॉन्च हथियार दागे थे, जिससे पश्चिमी विरोधी को बातचीत की मेज पर आने और शांति की गुहार लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा, “हमने लागत-लाभ पर काफी चर्चा की है, खासतौर पर वायुशक्ति के संदर्भ में। मुझे नहीं लगता कि ऑपरेशन सिंदूर से बड़ा कोई उदाहरण हो सकता है।” उन्होंने कहा कि 50 से भी कम हथियारों ने विरोधी को बातचीत की मेज पर ला दिया… यह एक ऐसा उदाहरण है जिसका अध्ययन किया जाना चाहिए और विद्वान इसका अध्ययन करेंगे। हम आपको बता दें कि नरमदेश्वर तिवारी ने एयरोस्पेस पावर सेमिनार के दौरान आयोजित एक इंटरैक्टिव सत्र में यह बात कही।हालांकि एयर मार्शल तिवारी ने 7-10 मई के बीच हुई झड़पों में इस्तेमाल किए गए हथियारों का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया, लेकिन माना जाता है कि भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30MKI, राफेल और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, क्रिस्टल मेज़-2, रैम्पेज और स्कैल्प मिसाइलों को लॉन्च किया था। ये हमले पाकिस्तान के वायु ठिकानों और राडार स्थलों पर सटीक तरीके से किए गए थे, जिनमें से कुछ परमाणु प्रतिष्ठानों और कमांड-एंड-कंट्रोल ढांचों के पास स्थित थे। आईएएफ उपप्रमुख नरमदेश्वर तिवारी ने यह भी कहा कि लड़ाकू विमानों जैसे मानवयुक्त सिस्टम अब भी ड्रोन जैसे मानवरहित सिस्टमों की तुलना में विरोधी पर “दबाव” डालने और “कूटनीतिक मजबूरी” थोपने में काफी बढ़त रखते हैं और यह स्थिति कुछ समय तक बनी रहेगी।उन्होंने कहा, “हम मानवरहित प्रणालियों को बहुत अधिक महत्व दे रहे हैं। आधुनिक युद्ध में उनका स्थान और महत्व है, लेकिन हमले की क्षमता, आवश्यक खुफिया जानकारी, और वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं… आपको देखना होगा कि क्या वे मानवयुक्त हवाई प्रणालियों के मुकाबले संतुलित हो सकते हैं।” हम आपको बता दें कि “कैपस्टोन” सेमिनार, जिसे सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ और कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर द्वारा आयोजित किया गया था, में विभिन्न वक्ताओं ने भारत के लिए एयरोस्पेस पावर के विकास को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। उनका कहना था कि यह “उकसाने वाला” नहीं बल्कि “रणनीतिक और वृद्धि को नियंत्रित करने का प्रभावी साधन” है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा गया। एक वक्ता ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने वायुशक्ति की गति, पहुंच और लचीलापन रेखांकित किया। हमने पाकिस्तान पर एस्केलेशन डॉमिनेंस स्थापित कर दिया।”अन्य वक्ताओं ने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान के लिए एक नई रेड लाइन खींच दी है, यह स्पष्ट कर कि वह पश्चिमी विरोधी की परमाणु धमकियों से भयभीत नहीं होगा और भविष्य में भी आतंकवादी हमलों के खिलाफ सीमा-पार सैन्य जवाबी कार्रवाई जारी रखेगा।वहीं एक सत्र में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और देश को चौबीस घंटे व पूरे वर्ष बहुत उच्च स्तर की सैन्य तैयारी रखनी चाहिए। सुब्रतो पार्क में आयोजित रक्षा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सेना को “सूचना योद्धाओं, प्रौद्योगिकी योद्धाओं और विद्वान योद्धाओं” की भी जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि युद्ध के इस परिदृश्य में, भावी सैनिकों को सूचना, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के मामले में अग्रणी होना होगा। सीडीएस ने कहा कि युद्ध में कोई भी उपविजेता नहीं होता और किसी भी सेना को लगातार सतर्क रहते हुए उच्च स्तर की अभियानगत तैयारी रखनी चाहिए। जनरल चौहान ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर इसका एक उदाहरण है, जो अब भी जारी है। हमारी तैयारी का स्तर बहुत ऊंचा होना चाहिए, चौबीस घंटे, 365 दिन।”सीडीएस ने शस्त्र और शास्त्र दोनों के बारे में सीखने के महत्व पर भी जोर दिया। जनरल चौहान ने एक विद्वान योद्धा को एक ऐसे सैन्य पेशेवर के रूप में परिभाषित किया, जिसमें बौद्धिक गहराई और युद्ध कौशल का समन्वय हो, जिसके पास मज़बूत शैक्षणिक ज्ञान और व्यावहारिक सैन्य विशेषज्ञता हो, जो उसे जटिल परिस्थितियों का विश्लेषण करने और ‘सैन्य लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विविध चुनौतियों’ का सामना करने में सक्षम बनाए। प्राचीन भारतीय इतिहास से लेकर विश्व युद्धों और हाल के संघर्षों तक के आधार पर एक विद्वान और योद्धा के बीच संबंधों को परिभाषित करते हुए सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि आज के सैन्य पेशेवर को ‘एक विद्वान योद्धा, एक तकनीकी योद्धा और एक सूचना योद्धा का संतुलित मिश्रण’ होना चाहिए।युद्ध की प्रकृति को बदलने वाली नई तकनीकों को समझने और लागू करने के लिए एक तकनीकी योद्धा, और भारत के दृष्टिकोण को समझने और समझाने तथा गलत धारणाओं का प्रतिकार करने के लिए एक ‘सूचना योद्धा’, और युद्ध के बदलते स्वरूप (विशेष रूप से हाल में हुए या जारी संघर्षों के माध्यम से परिलक्षित) पर प्रकाश डालते हुए सीडीएस ने आधुनिक युद्ध में एक विद्वान योद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और भारत की संप्रभुता की रक्षा और राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।बहरहाल, भारत द्वारा मई 7-10 के बीच चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमित और सटीक वायु हमलों से भी विरोधी को बातचीत की मेज पर आने को मजबूर किया जा सकता है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की वायुशक्ति न केवल सामरिक दृष्टि से सशक्त है, बल्कि यह विरोधी की रणनीतिक गणनाओं को बदलने में भी सक्षम है। यह अभियान भारत की बदलती राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और पाकिस्तान के प्रति उसके दृढ़ रुख का प्रतीक बन गया है।
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