शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 के अन्य अंतरिक्षयात्री पृथ्वी पर लौटे रहे हैं…

राष्ट्रीय जजमेंट

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रचने वाले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वापस लौट रहे हैं। एक लाइव प्रसारण में सोमवार को एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन को अपने चार सदस्यीय चालक दल के साथ परिक्रमा कर रही प्रयोगशाला से अनडॉक करते हुए दिखाया गया। इसके 24 घंटे से भी कम समय में पृथ्वी पर उतरने की उम्मीद है। पूर्व नासा विशेषज्ञ पैगी व्हिटसन के नेतृत्व में और ग्रुप कैप्टन शुक्ला द्वारा संचालित, Ax-4 26 जून को ISS पर पहुँचा था। इसके चालक दल में पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल थे। शुक्ला, कमांडर पैगी व्हिट्सन तथा मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू को लेकर आ रहा ड्रैगन ‘ग्रेस’ अंतिरक्ष यान भारतीय समयानुसार सोमवार शाम 4:45 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हो गया। एक्सिओम-4 मिशन का संचालन करने वाली कंपनी स्पेसएक्स ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ड्रैगन अंतरिक्ष यान और एक्सिओम स्पेस एएक्स-4 के सभी सदस्य मंगलवार को भारतीय समयानुसार अपराह्न तीन बजकर एक मिनट पर पृथ्वी के वाायुमंडल में फिर से प्रवेश करेंगे और सैन डिएगो तट पर पानी में उतरेंगे।’’इसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में उतरने से पहले एक संक्षिप्त ध्वनि विस्फोट के साथ अपने आगमन की घोषणा भी करेगा। अंतरिक्ष यान के पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करते ही भारतीय समयानुसार आज अपराह्न दो बजकर सात मिनट पर प्रशांत महासागर के ऊपर ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ होने की उम्मीद है।जब कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना आवश्यक होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके। इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स (छोटे इंजन) को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है। इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं।

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