गुंडों ने काटे इस शख्स के दोनों पैर, अब हुआ ऐसा ऐलान, पूरा देश हैरान

राष्ट्रीय जजमेंट

करीब नौ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुस्से में खड़े होकर मंच पर एक भाषण दिया था। पीएम मोदी ने मंच से बोलते बोलते एक शख्स को अपने पास बुलाया और उनका हाथ पकड़ लिया। ये वो शख्स हैं जिनके दोनों पैर कुछ गुंडों ने काट दिए थे। मगर पीएम मोदी ने उनका हाथ थाम लिया। पीएम मोदी ने मंच पर खड़े होकर सब को बताया कि कैसे उनके साथ खड़े व्यक्ति के दोनों पैर काट दिए गए। लेकिन वो लगातार पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं। पीएम मोदी ने 9 साल पहले जो बयान दिया था वो अब राज्यसभा के लिए नामित किए गए हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत 4 हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है। राष्ट्रपति की तरफ से राज्यसभा के लिए नॉमिनेटेड सदस्यों में पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम, केरल के भाजपा नेता सी सदानंदन मास्टर और इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चारों को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की। अनुच्छेद 80 के तहत राष्ट्रपति 12 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित कर सकते हैं। इस बार चार सीटें खाली थीं, जिन्हें भरने के लिए ये नामांकन किए गए हैं। कन्नूर में हुए राजनीतिक झगड़े में अपने दोनों पैर गँवाने वाले वरिष्ठ आरएसएस नेता सी सदानंदन को राज्यसभा के लिए मनोनीत करके भाजपा ने केरल में अपने विरोधियों को एक कड़ा संदेश दिया है। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तिरुवनंतपुरम में की गई इस घोषणा के तुरंत बाद आया है कि भाजपा 2026 में राज्य में सरकार बनाएगी। इस घोषणा ने सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों को चौंका दिया है। अपने बयान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने पार्टी के आक्रामक रुख को स्पष्ट किया। सदानंदन के एक पुराने बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा हम सीपीएम की हिंसा की राजनीति के शिकार नहीं हैं। हम इसे हराने के लिए जन आंदोलन के निडर योद्धा हैं। संदेश साफ़ है। भाजपा खुद को केरल में असली विपक्ष के रूप में पेश करेगी और दावा करेगी कि केवल उसी में सीपीएम के रथ को रोकने का साहस है। पार्टी का मानना है कि यह आक्रामक रुख राज्य में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले उसके पक्ष में राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगा। सदानंदन के उच्च सदन में नामांकन से आरएसएस कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है, जिन्हें सीपीएम के गढ़ों में संगठन खड़ा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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