महात्मा गांधी में आग लग रही है भाई…फाइनल रिपोर्ट हैरान कर देगी, क्या जस्टिस वर्मा अब बच नहीं पाएंगे?

राष्ट्रीय जजमेंट

जस्टिस यशवंत वर्मा, जले हुए नोट, कैश कांड, सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कमेटी बनाई गई। रिपोर्ट आई। महाभियोग की सिफारिश की गई। अब ये जो रिपोर्ट जिसके आधार पर महाभियोह की सिफारिश की गई है। वो लीक हो गई है। जस्टिस यशंवत वर्मा के घर में कैश की जांच कर रही पैनल की रिपोर्ट सामने आ गई है। 64 पन्नों की इस रिपोर्ट में जांच के दौरान 55 गवाहों के बयान जस्टिस वर्मा की बेटी दिया वर्मा भी शामिल हैं। जांच समिति ने कुल 55 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, सीआरपीएफ के 6, जस्टिस वर्मा के घरेलू और कोर्ट स्टाफ के 18 लोग, जस्टिस वर्मा व उनकी बेटी आदि शामिल हैं। लेकिन सबसे अहम बयान उन दस कर्मचारियों के हैं जो मौके पर आग बुझाने पहुंचे थे और नकदी को अपनी आंखों से देखा। ये ज्यादातर लोग फायर डिपार्टमेंट या पुलिस विभाग से जुड़े थे।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस के 10 गवाह

1. अंकित सहवाग (फायर ऑफिसर, DFS): टॉर्च की रोशनी में उन्होंने स्टोर रूम में आधे जले हुए ₹500 के नोटों का ढेर देखा. पानी की वजह से नोट भीग चुके थे।

2. प्रदीप कुमार (फायर ऑफिसर, DFS) : स्टोर रूम में घुसते ही उनके पैर में कुछ लगा। झुककर देखा तो यह ₹500 के नोटों का ढेर था। उन्होंने बाहर खड़े सहयोगियों को जानकारी दी।

3. मनोज महलावत (स्टेशन ऑफिसर, DFS): उन्होंने घटनास्थल की तस्वीरें लीं। आग बुझाने के बाद उन्होंने खुद अधजली नकदी देखी. यही वो अधिकारी हैं, जिनकी आवाज वीडियो में ‘महात्मा गांधी में आग लग रही है भाई’ कहते हुए सुनी गई।

4. भंवर सिंह (ड्राइवर, DFS): 20 साल के फायर सर्विस करियर में पहली बार उन्होंने इतने बडे पैमाने पर नकदी देखी। नजारा देखकर वे हैरान रह गए।

5. प्रविंद्र मलिक (फायर ऑफिसर, DFS): उन्होंने देखा कि प्लास्टिक बैग में भरी हुई नकदी आग में जल चुकी थी. लिकर कैबिनेट के कारण आग और भड़क गई थी।

6. सुमन कुमार (असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर, DFS): उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी को नकदी मिलने की सूचना दी, लेकिन उन्हें ऊपर से आदेश मिला कि बड़े लोग हैं, आगे कार्रवाई मत करो।

7. राजेश कुमार (तुगलक रोड थाना, दिल्ली पुलिस) : आग बुझने के बाद उन्होंने खुद अधजली नकदी देखी और वहां लोगों को वीडियो बनाते हुए देखा।

8. सुनील कुमार (इंचार्ज, ICPCR): टॉर्च से स्टोर रूम में झांक कर उन्होंने जली-अधजली नकदी देखी और तीन वीडियो बनाए।

9. रूप चंद (हेड कांस्टेबल, तुगलक रोड थाना): उन्होंने SHO के निर्देश पर मोबाइल से पूरी घटना रिकॉर्ड की. उन्होंने देखा कि नोट स्टोर रूम के दरवाजे से लेकर पीछे की दीवार तक फैले हुए थे

10. उमेश मलिक (SHO, तुगलक रोड थाना): उन्होंने 1.5 फीट ऊंचे जले हुए 500 रुपये के नोटों के ढेर को देखा। कुछ नोट गड्डियों में बंधे थे तो कुछ पानी में बिखर चुके थे।

संदेह के 5 बड़े कारण

1. स्टाफ के साथ वॉट्सएप चैट, जस्टिस वर्मा के स्टाफ ने बताया कि 14-15 मार्च की रात उनसे केवल वॉट्सएप चैट और मैसेज से बात हुई। ये डेटा रिकवर नहीं हो सका। समिति ने माना कि जानबूझकर चैट छिपाना सामान्य नहीं है।

2. सीसीटीवी फुटेज स्टोर नहीं की; घटना 14 मार्च रात की है। यानी जस्टिस वर्मा के पास 10 दिन का समय था कि वे फुटेज को सुरक्षित करवा सकते थे, पर ऐसा नहीं किया। समिति ने फुटेज गायब होने के उनके दावे को खारिज कर दिया।

3. साजिश का दावा, पर सबूत नहीं; समिति ने कहा, जब नकदी की मौजूदगी साबित हो गई, तब जस्टिस वर्मा की यह जिम्मेदारी थी कि वे इसका स्पष्टीकरण दें। लेकिन उन्होंने सिर्फ साजिश का दावा किया और कोई ठोस सबूत नहीं दिया।

4. वर्मा स्टोर रूम देखने भी नहीं गए, जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली लौटने के बाद एक भी बार उस स्टोर रूम को देखने नहीं गए, जहां आग लगी थी। समिति ने कहा, कोई भी व्यक्ति नुकसान का जायजा लेने एक बार तो जरूर जाता।

5. कहीं कोई शिकायत तक नहीं की: रिपोर्ट कहती है, जस्टिस वर्मा ने न तो पुलिस में शिकायत की और न ही सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जानकारी दी। ये भी नहीं बताया कि नकदी किसी और की थी या कैसे वहां पहुंची ?
अब आगे क्या

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन ने यह जांच रिपोर्ट तैयार की। इसमें कहा गया कि यह साबित होता है कि उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं और न्यायिक पद पर बने रहना उचित नहीं है।

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