कोई भी आतंकी हमला अब युद्ध माना जाएग, श्रीनगर में बोले राजनाथ, आतंकवाद और बात साथ नहीं चलेगी

राष्ट्रीय जजमेंट

पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को श्रीनगर पहुंचे। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले और 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के बाद रक्षा मंत्री का यह पहला जम्मू-कश्मीर दौरा है। राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में गिराए गए पाकिस्तानी गोले का निरीक्षण किया। बादामी बाग छावनी में कुछ मलबे प्रदर्शित किए गए हैं।
बादामी बाग छावनी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ने अपने संबोधन में कहा किसबसे पहले, मैं आतंकवाद और आतंकवादियों से लड़ते हुए बहादुर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को नमन करना चाहता हूं। मैं उनकी स्मृति को सम्मान देता हूं। मैं पहलगाम में मारे गए निर्दोष नागरिकों को भी श्रद्धांजलि देता हूं। मैं घायल सैनिकों की वीरता को भी सलाम करता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वे जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। उन्होंने कहा कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी आपके बीच आकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। राजनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आप सभी ने जो कुछ किया, उस पर पूरे देश को गर्व है। आपका रक्षा मंत्री होने से पहले मैं एक भारतीय नागरिक हूँ। रक्षा मंत्री होने के साथ-साथ मैं एक भारतीय नागरिक के तौर पर भी आपका आभार व्यक्त करने आया हूँ। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया – मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी सलाम करता हूं। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं यहां उस ऊर्जा को महसूस करने आया हूं जिसने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया। जिस तरह से आपने सीमा पार पाकिस्तानी चौकियों और बंकरों को तबाह किया, मुझे लगता है कि दुश्मन इसे कभी नहीं भूल पाएगा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, सिर्फ एक ऑपरेशन का नाम भर नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिबद्धता है। एक ऐसी प्रतिबद्धता, जिसमें भारत ने दिखा दिया, कि हम सिर्फ रक्षा नहीं करते, जब वक्त आता है, तो हम कठोर निर्णय भी लेते हैं। यह ऑपरेशन, उस एक-एक जवान की आंखों में देखा गया सपना था, कि हर आतंकी ठिकाना, चाहे वो घाटियों में छुपा हो या बंकरों में दबा हो, हम वहां पहुंचेंगे… और दुश्मन की छाती चीरकर, हम उन आतंकी ठिकानों को खत्म करके ही लौटेंगे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत द्वारा चलाई गई, अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी कार्रवाई है। पैंतीस-चालीस वर्षों से भारत सरहद पार से चलाये जा रही आतंकवाद का सामना कर रहा है। आज भारत ने पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ हम किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम में आतंकवादी घटना को अंजाम देकर भारत के माथे पर चोट पहुँचाने का काम किया, भारत की सामाजिक एकता को तोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने भारत के माथे पर वार किया, हमने उनकी छाती पर घाव दिए हैं। पाकिस्तान के ज़ख्मों का इलाज इसी बात में है कि वह भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे, अपनी ज़मीन का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ न होने दे। जवानों से उन्होंने कहा कि आपको याद होगा कि लगभग इक्कीस साल पहले अटलजी के सामने इसी पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में डिक्लेरेशन किया था कि अब उनकी धरती से आतंकवाद एक्सपोर्ट नहीं किया जाएगा। मगर पाकिस्तान ने भारत को धोखा दिया और आज भी धोखा दिए जा रहा है। इसका ख़ामियाज़ा अब उसको भारी क़ीमत अदा करके भुगतना पड़ रहा है। और यह क़ीमत लगातार बढ़ने वाली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक शब्दों में आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की नीति को फिर से परिभाषित कर दिया है, जो यह कहती है कि हिंदुस्तान की सरज़मीं पर किया गया कोई भी आतंकी हमला एकयुद्ध का कार्य माना जाएगा। दोनों देशों में जो समझ अभी बनी है वह इसी बात को लेकर है कि सरहद पार से कोई बेजा हरकत नहीं की जाएगी। अगर की गई तो बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी। साथ ही हमारे प्रधानमंत्री ने यह भी साफ़ कर दिया है कि आतंकवाद और बात एक साथ नहीं चलेंगे और अगर बात होगी तो आतंकवाद पर होगी, पीओके पर होगी।

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