मुर्शिदाबाद की हिंसा से उपजा सवाल- 2025 में ये हाल है तो 2050 में हिंदुओं का क्या होगा?

राष्ट्रीय जजमेंट 

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में घटी हिंसा की घटना की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आये हैं वह राज्य में प्रशासनिक तंत्र की पूर्ण विफलता दर्शा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्र सरकार ने अब तक क्यों अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया है? मुर्शिदाबाद में जिस तरह हिंदुओं को मारा गया और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया उससे यह अनुमान भी सहज ही लगाया जा सकता है कि जब 2025 में यह हाल है तो 2050 में हिंदुओं के साथ किस तरह का अत्याचार हो सकता है। साथ ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की आलोचना और निंदा तो सभी ने की लेकिन बंगाल में बहुसंख्यक हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार को देखकर सभी खामोश हैं। ना तो अदालतें इस हिंसा का स्वतः संज्ञान ले रही हैं ना ही मानवाधिकार की दुहाई देते रहने वाले कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं की जुबान खुल रही है।हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद से सैंकड़ों लोगों ने भागीरथी नदी पार कर मालदा में शरण ली है। मीडिया में आई तस्वीरों में मुर्शिदाबाद के इन इलाकों में दुकानें, होटल और घर जलते हुए दिखाई दिये। अपने परिवार के साथ मुर्शिदाबाद से पलायन करने वाली महिलाओं ने बताया कि हम धुलियान के मंदिरपाड़ा इलाके से इसलिए भागे क्योंकि हमारे घरों में आग लगा दी गई थी। महिलाओं का कहना है कि उनके साथ और लड़कियों के साथ बाहरी लोगों तथा कुछ स्थानीय लोगों के एक समूह ने छेड़छाड़ भी की। महिलाएं दावा कर रही हैं कि हमलावरों ने बम फेंके और हमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम के लिए दोषी ठहराया और तुरंत अपने घर छोड़ने के लिए कहा। महिलाओं का कहना है कि हमलावरों ने हमारे घर के पुरुषों को पीटा। हम अपनी जान को लेकर डरे हुए थे और केंद्रीय बलों की मदद से अपने घरों से भागे। कुछ महिलाओं ने कहा कि हमने हमलावरों से हाथ जोड़कर माफी मांगी, जबकि हमने कोई गलत काम नहीं किया था। लेकिन हथियार लहराते हुए हमलावरों ने बहुत अत्याचार किए। महिलाओं ने कहा कि यदि हम वहां से नहीं भागते तो मारे जाते। कई महिलाएं अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ी। हम आपको यह भी बता दें कि कई हिंदू परिवार पड़ोसी राज्य झारखंड भी चले गये हैं। इन लोगों ने जब वहां अपनी आपबीती सुनाई तो लोग हैरान रह गये।हम आपको यह भी बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा और हिंदुओं पर हुए हमले की घटना में एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय को मुर्शिदाबाद हिंसा की प्रारंभिक जांच से संबंधित जो रिपोर्ट दी गयी है वह बांग्लादेशी बदमाशों की संलिप्तता का संकेत दे रही है। प्रारंभिक निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि बदमाशों को शुरू में स्थानीय नेताओं से सहायता मिली, उसके बाद वे बेकाबू हो गए और जमकर हिंसा की। हम आपको बता दें कि हिंसा के कारण कई हिंदू परिवार विस्थापित हो गए हैं। अपने ही देश में हिंदू परिवारों के विस्थापन को देखकर हर कोई परेशान है। रिपोर्टों के मुताबिक कई परिवार मालदा चले गये हैं और वहां राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस बीच, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से लोगों की जान-माल की रक्षा करने में विफलता, रेलवे संपत्तियों पर हमले और हिंसा के शुरुआती चरणों के दौरान पुलिस की निष्क्रियता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय मुर्शिदाबाद और पश्चिम बंगाल के अन्य संवेदनशील जिलों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से बात की थी और हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। उन्होंने राज्य प्रशासन को अन्य संवेदनशील जिलों पर कड़ी नजर रखने और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की सलाह दी थी। केंद्रीय गृह सचिव पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ लगातार संपर्क में हैं। गृह मंत्रालय ने मुर्शिदाबाद में सीमा सुरक्षा बल की करीब नौ कंपनियां यानि लगभग 900 जवान तैनात किए हैं।इस बीच, उच्चतम न्यायालय में दायर दो याचिकाओं में नये वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध किया गया है। वकील शशांक शेखर झा ने एक जनहित याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से हिंसा के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का अनुरोध किया है। एक अन्य याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर की और राज्य में हिंसा की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया है। याचिका में लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के निर्देश के अलावा राज्य सरकार को हिंसा पर शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।बहरहाल, विश्व हिंदू परिषद ने ममता बनर्जी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उसने मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में प्रभावित हिंदू परिवारों की सुध नहीं ली तो हिंदू समाज अपनी सुरक्षा के लिए खुद उठ खड़ा होगा। देखना होगा कि आने वाले दिन बंगाल के लिए कैसे रहते हैं।

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