महाकुंभ में स्नान करती महिलाओं के फोटो और वीडियो ऑन सेल! अखिलेश यादव और Telegram को लेकर अब क्या आ गया सामने?

राष्ट्रीय जजमेंट

हमारे देश में धर्म निरपेक्षता के नाम पर सनातन धर्म की परंपरा और रीति रिवाजों को अपमानित क्यों किया जाता है? ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इस समय विपक्ष के नेता मोदी विरोध के चक्कर में महाकुंभ और सनातन धर्म का खुलकर अपमान कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाकुंभ को मृत्युकंभ बताया। वहीं बिहार के आरजेडी नेता लालू यादव ने महाकुंभ को फालतू बताते हुए कहा कि इसका कोई महत्व नहीं है। समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने कहा था कि महाकुंभ का आयोजन बीजेपी के प्रचार के लिए हो रहा है। कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी के भाई और समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि महाकुंभ में करोड़ों लोगों के स्नान करने से अब स्वर्ग हाउस फुल हो चुका है। वो सनातन धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कह चुके हैं कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं हो सकती। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कावेरी नदी में ही स्नान करते हुए कहा कि अगर उन्हें स्नान ही करना है तो वे प्रयागराज न जाए और कर्नाटक की ही कावेरी नदी में आस्था की डुबकी लगाए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर से महाकुंभ को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। सपा अध्यक्ष ने जिस खबर का हवाला दिया है। उसमें ये दावा किया गया है कि महाकुंभ में महिलाओं की सुरक्षा को ताक पर रखा गया है। यहां पर स्नान के लिए आईं कई महिलाओं की तस्वीरें टेली ग्राम पर बेची जा रही हैं। अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ये एक अति अशोभनीय एवं संवेदनशील मामला है कि महाकुंभ में नारी के मान-सम्मान की रक्षा करने में भाजपा सरकार विफल रही है। महाकुंभ में पुण्य कमाने आई स्त्री शक्ति की तस्वीरों के सरेआम बेचे जाने के समाचार पर श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश है। नारी की गरिमा की सुरक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, क्या सरकार इस ऑनलाइन बिक्री से जीएसटी कमाकर इस गोरखधंधे की हिस्सेदारी नहीं बन रही है। उप्र एवं राष्ट्रीय महिला आयोग तुंरत संज्ञान लेकर सक्रिय हो और समस्त उत्तरदायी लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो। घोर निंदनीय! आज बड़ा सवाल है कि जितना विरोध और आलोचना कुंभ का हो रहा है क्या वैसा ही विरोध दूसरे धर्म के धार्मिक आयोजन का हो सकता है। क्या ये संभव है। ममता हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन करती हैं। लेकिन क्या वो ऐसे ही शब्द इफ्तार पार्टी के लिए कर सकती हैं। क्या लालू इसे फालतू बता सकते हैं। क्रिसमस और ईस्टर वीक को लेकर क्या विपक्ष के नेता ऐसी बातें कह सकते हैं जैसा कुंभ को लेकर कह रहे हैं?

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