यूपी: बीजेपी में सांसदों के टिकट कटने की खबरों के बीच उठने लगे बगावत के सुर

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नई दिल्ली। लोकतंत्र का चुनावी मेला सजना शुरू हो गया है। इस मेले में बीजेपी कमजोर पड़ रहे पुराने दुकानदारों के शामियाने उखाड़ने की तैयारी कर रही है। बीजेपी की भारी जीत के हिस्सेदार रहे यूपी के ऐसे करीब दो दर्जन सांसदों को पार्टी ने इस बार के रणसंग्राम से दूर रखने का फैसला किया है।
प्रयाग,संतकबीर नगर और उन्नाव क्षेत्रों के सांसदों को इसकी भनक है। सो अब इन सांसदों ने पार्टी को तेवर दिखाना शुरू कर दिये है। उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को पत्र लिखा है। साक्षी ने पत्र में कहा है कि उन्होंने उन्नाव क्षेत्र में बहुत मेहनत की है, और
अगर उन्हें उन्नाव के अलावा किसी और जगह से चुनाव लड़ाया जाता है तो यहां के करोड़ो कार्यकर्ता दुखी होंगे. साक्षी ने ऐसे हालातो में पार्टी को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है।
साक्षी ने कहा, “मैंने पार्टी अध्यक्ष से अपनी बात कही है अपने क्षेत्र की जनता की भावनाओं से उन्हें अवगत कराया है और इसमें कोई बुराई नहीं है।”अकेले साक्षी ही नहीं है जिनके कदमों में बगावत की बू आ रही है। प्रयाग के सांसद श्यामा चरण गुप्ता तो अपने बेटे विधुत अनुग्रह को प्रयाग से निर्दलीय चुनाव भी लड़वा रहे हैं।
गुप्ता का कहना है मैंने अपना पूरा समय पार्टी को दिया है। मेरे ऊपर एक भी दाग नहीं जबकि पार्टियों में दागियों की कमी नहीं है. बेटा अगर चुनाव लड़ रहा है तो लड़े इसमें मेरा कोई रोल नहीं है, लेकिन पार्टी ने हमें कोई तवज्जो नहीं दी है।
संतकबीर नगर में हुए कांड के पीछे भी टिकट की दावेदारी का खेल था। राकेश बघेल इस बार संतकबीर नगर से लोकसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी जता रहे थे. शरद त्रिपाठी ने जूतों के जरिये अपने इसी गुस्से को जताया था।
पार्टी आलाकमान ने शरद को चुनाव में ना उतारने का मन बना लिया है, लेकिन ब्राह्मण लॉबी में कोई गलत संदेश न जाये इसके लिए इस सीट से किसी ब्राह्मण को ही चुनाव लड़ाने पर मंथन हो रहा है।
श्रावस्ती से ददन मिश्रा का टिकट भी काटे जाने की संभावना है। इस सीट से पीएम मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को पार्टी चुनाव लड़वा सकती है. बहराइच से सावित्री बाई फुले पहले ही पार्टी को अलविदा कह चुकी हैं। पूरे यूपी में ऐसी दो दर्जन सीटों पर पार्टी ने कमर कस ली है।
जहां के सांसदों की परफॉर्मेन्स खराब है। ऐसी सीटों पर नए प्रत्याशियों को भी लगभग तय कर लिया गया है। अभी तो 3 सांसदों ने अपनी आवाज मुखर की है। अंदरखाने तो कई सांसदों ने बगावत करने का मन बना लिया है।

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