सरकार के खिलाफ पोस्ट लिखना एक दलित प्रोफेसर को पड़ा भारी, मिलने वाला सम्मान ले लिया गया वापस

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लखनऊ। सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट लिखने पर लखनऊ विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर डॉ रविकांत को मिलने वाला सम्मान वापस ले लिया गया।
राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा उन्हें ‘रमन लाल अग्रवाल पुरस्कार’ मिलना था लेकिन उनके खिलाफ शिकायत होने के बाद यह पुरस्कार उन्हें न देने का फैसला किया गया।
पुरस्कार समिति के सचिव और राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश के महामंत्री डाॅ दिनेश चंद्र अवस्थी की ओर से उन्हें एक पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में बताया गया है, ‘मानव एवं जीव जन्तु अपराध नियंत्रण संस्थान नई दिल्ली के सीएमडी शैलेंद्र सिंह की ओर से आपके ऊपर कई आरोप लगाए गए हैं।
अपने शिकायती पत्र में शैलेंद्र सिंह ने आपके फेसबुक अकाउंट की पोस्ट की प्रतियां भी लगाई हैं. इन विपरीत तथ्यों के आधार पर चयन समिति ने यह पुरस्कार आपको देने का निर्णय वापस ले लिया है।

वहीं, डाॅ रविकांत का कहना है कि वह सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लिखते हैं और लिखते रहेंगे. जो सही है वही कहेंगे. उन्होंने कहा कि वह बहुसंस्कृति के राष्ट्रवाद के समर्थक हैं और सांप्रदायिक विचारों के विरोधी, इसलिए इनके खिलाफ लिखते हैं।
इसके अलावा इधर उन्होंने 13 प्वाॅइंट रोस्टर के खिलाफ और पाकिस्तान के खिलाफ देश में फैले युद्ध उन्माद पर भी लिखा था। यहां आपको बता दें कि उनकी दो किताबें ‘आज के आईने में राष्ट्रवाद’ और ‘आजादी और राष्ट्रवाद काफी’ पढ़ी जाने वाली किताबें हैं।
डॉ. रविकांत कहते हैं कि 13 पॉइंट रोस्टर का विरोध और देश मे साम्प्रदायिकता युद्ध उन्माद के विरोध में में लिखता रहा हूं, बीजेपी आरएसएस की विभाजनकारी नीतियों की मैं आलोचना करता रहा हूं।
राष्ट्रवाद पर मैं लिखता और बोलता रहा हूं, लेकिन अगर आपकी विचारधारा आपकी नीतियों को लेकर कोई फैसला लिया गया है तो ये गलत है।

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