डीजीसीए ने जारी किए नए नियम, हल्के और प्राइवेट विमान के लिए होने वाले हैं ये बदलाव

राष्ट्रीय जजमेंट

विमानन क्षेत्र के नियामक (डीजीसीए) ने अनुपालन बोझ को कम करने के लिए हल्के विमानों और गैर अनुसूचित विमान परिचालकों के लिए उड़ान पात्रता प्रणाली को आसान बनाने के लिए नए नियमों को जारी किया है। डीजीसीए ने इस संबंध मे एक बयान भी जारी किया है। इस बयान के मुताबिक हल्के विमानों और गैर अनुसूचित विमानों के लिए उड़ान भरने के लिए नए नियमों को जनवरी 2025 से लागू किया जाएगा। हालांकि वर्तमान में विमानों की उड़ान भरने की काबिलियत दो प्राथमिक नागर विमानन प्रावधानों के जरिए होती है। इस योग्यता को आधिकारिक तौर पर सीएआर-एम और सीएआर-145 के तौर पर जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक सीएआर-एम में हर तरह के विमानों की लगातार उड़ान भरने की क्षमता होती है। इसमें अनुसूचित परिचालन, गैर-अनुसूचित परिचालन, उड़ान प्रशिक्षण, सामान्य विमानन और निजी परिचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले विमानों को भी शामिल किया जाता है। इसके अलावा सीएआर-145 प्रावधान वाणिज्यिक परिचालन और जटिल मोटर विमानों में इस्तेमाल होने वाले विमानों के रखरखाव संबंधी नियमों को विस्तृत ब्यौरा देते हैं। डीजीसीए के ये नियम विमानों के आकार की परवाह किए बगैर सभी संगठनों में समान रूप से लागू होते हैं। इसके अलावा ये वाणिज्यिक एवं निजी विमानों के लिए जरूरी रखरखाव प्रक्रियाओं पर भी लागू होते हैं। डीजीसीए ने अब हल्के विमानों और निजी परिचालकों के लिए आसान उड़ान संबंधित नियमों को लागू करने के लिए तीन नियमों का सेट पेश किया है। इन्हें सीएआर-एमएल, सीएआर-सीएओ और सीएआर-सीएएमओ का नाम दिया गया है। यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी के साथ तालमेल में बनाए गए ये नियम हल्के विमानों और लाइसेंस-प्राप्त एयरलाइंस के अलावा अन्य परिचालकों के विमानों के लिए उड़ान पात्रता प्रावधानों को सरल बनाने का प्रयास करते हैं। इसके साथ नियामक ने सीएआर-एम और सीएआर-145 नियमों में कुछ संशोधन भी किए हैं। डीजीसीए ने कहा, ‘‘ये नए और संशोधित विनियमन विमानन उद्योग को गैर-जटिल विमानों का उपयोग करने वाले ऑपरेटरों/ संगठनों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने में मदद करेंगे। अनुसूचित वाणिज्यिक संचालन में उपयोग किए जाने वाले विमान कहीं अधिक जटिल हैं।’’ सरकार हवाई संपर्क को बेहतर बनाने के तरीकों पर काम कर रही है और क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना के तहत सी-प्लेन संचालन को बढ़ावा देने की भी कोशिश कर रही है।

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