पूर्व मुख्यमंत्रीयों को अब नही मिलेगा आजीवन सरकारी आवास: पटना हाईकोर्ट

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पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिले आजीवन सरकारी आवास की सुविधा पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को समाप्त कर दी। चीफ जस्टिस एपी शाही की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिली ये सुविधाएं असंवैधानिक हैं।
यह सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है। हाईकोर्ट के इस फैसले का असर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह को अपना आवास खाली करना पड़ेगा।
जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार सरकार का तेजस्वी प्रसाद के साथ बंगला विवाद था। तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री के रूप में जो मकान मिला था उसे खाली करवाने की कवायद की गई थी। एक बंगले को लेकर इतनी कवायद नहीं करनी चाहिए थी। वह सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। हो सकता है कि उसी कवायद में हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया हो।
मांझी ने कहा कि कोर्ट का फैसला सर्वमान्य है। मैं पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ वर्तमान में विधायक भी हूं। मुख्यमंत्री चाहें तो इस बंगले को सेंट्रल पूल में रखकर मुझे आवंटित कर सकते हैं। वैसे में सात बार विधायक रहा हूं। सरकार मेरे लायक जो आवास देगी मैं उसमें चला जाऊंगा।
हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अलॉट बंगला खाली करने को कहा था। चूंकि बिहार में इसको लेकर विधानमंडल में कानून बनाया गया है इसलिए पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपना बंगला खाली नहीं किया था। 8 जनवरी को पटना हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी कर इस बारे में जवाब मांगा। 19 फरवरी को पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अलॉट बंगला और मिलने वाली सभी सुविधाएं हटाने के आदेश दे दिया

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