अध्ययन: कोरोना के नए स्वरूपों पर कमजोर पड़ रही हर्ड इम्युनिटी, आईसीएमआर ने जांच में किया खुलासा

राष्ट्रीय जजमेंट

नई दिल्ली।कोरोना रोधी टीके की दो या तीन खुराक लेने वालों में छह माह बाद एंटीबॉडी यानी प्रतिरक्षा में गिरावट आ रही है। ऐसे लोग कोरोना के नए स्वरूपों का सामना करने में कमजोर हो सकते हैं और इनके संक्रमित होने की आशंका बढ़ सकती है। कोरोना के नए स्वरूपों से बचाव में यह पूरी तरह असरदार नहीं है। इनके अलावा, मौजूदा टीका केवल वुहान स्वरूप के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षा देने में सफल हैं लेकिन ओमिक्रॉन वंश से जुड़े वायरस के सभी स्वरूपों पर टीका का असर कम होने लगता है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के 11 क्षेत्रीय संस्थानों ने मिलकर दो या तीन खुराक लेने वाले लोगों की जांच में यह खुलासा किया है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कोविशील्ड और कोवैक्सिन की दो खुराक लेने वाले कुल 88 लोगों के रक्त नमूने की जांच की है। इसी तरह कोविशील्ड और कोवैक्सिन की तीन खुराक लेने वाले 102 लोगों की छह माह बाद रक्त जांच में एंटीबॉडी का स्तर नापा। इसमें पता चला कि लोगों की एंटीबॉडी वुहान स्वरूप यानी बी.1 से बचाव में पूरी तरह सक्षम हैं लेकिन ओमिक्रॉन की वंशावली से जुड़े स्वरूपों पर यह ज्यादा दिन तक असरदार नहीं है।उदाहरण के तौर पर ओमिक्रॉन के उप स्वरूप बीए 5.2 पर मौजूदा टीका का असर छह माह बाद पांच से छह गुना तक कम हो रहा है। बीएफ.7 उप स्वरूप पर यह असर 11 से 12 और बीक्यू.1 उप स्वरूप पर यह 12 गुना कम है। इतना ही नहीं, जिन लोगों ने कोरोना टीका की दो या तीन खुराक ली हैं उनमें छह माह बाद एंटीबॉडी का स्तर इतना कम हो रहा है कि वह एक्सबीबी.1 स्वरूप से संक्रमित होते हैं तो उनके फिर से संक्रमित होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।नए स्वरूपों के अनुरूप विकसित हो टीका शोधकर्ताओं ने कहा है कि भारत में मौजूदा टीका के अलावा कोरोना के नए स्वरूपों को ध्यान में रखते हुए भी टीका विकसित होने चाहिए ताकि लोगों को पर्याप्त एंटीबॉडी बनाए रखने में मदद हो सके। अभी तक वुहान स्वरूप के आधार पर टीका तैयार हुए हैं और इनकी एंटीबॉडी अधिकतम छह महीने तक ही टिक पा रही हैं। भारत में अभी भी ऐसे कई मामले हैं जो टीका लेने के बाद भी संक्रमण की चपेट में आए हैं। हालांकि इनमें एंटीबॉडी मौजूद रहने से वायरस की गंभीरता और जानलेवा स्थिति में सुधार जरूर आया है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More