ग्रामीण ओलंपिक कही जाने वाली बैलगाड़ियों की दौड़ को पंजाब कैबिनेट में मिली मंजूरी

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चंडीगढ़। ग्रामीण ओलिंपिक कहलाने वाले लुधियाना के बहुचर्चित किला रायपुर खेलों में इस बार फिर से रोमांच देखने को मिलेगा। पिछले कुछ बरसों से मेले की रौनक खत्म कर देने वाली वजह रविवार को उस वक्त खत्म होती नजर आई,
जब चंडीगढ़ में पंजाब कैबिनेट की बैठक में 22 फरवरी से शुरू हो रहे इस खेल मेले में बैलों की दौड़ को हरी झंडी दे डाली। अभी तक की जानकारी के मुताबिक 2014 में पशु क्रूरता विरोधी अधिनियम 1960 के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यहीं नहीं देशभर में बैलों की दौड़ पर पाबंदी लगाई थी, जो जारी है।
दरअसल लुधियाना से 30 किलोमीटर दूर स्थित किला रायपुर में ग्रेवाल स्पोर्ट्स एसोसिएशन दौड़ का आयोजन करती है। किला रायपुर खेल 1933 में शुरू हुए तो 5 इवेंट थे। 1960 के दशक में बैलगाड़ी दौड़ शुरू हुई और मौजूदा स्थिति में यहां होने वाले इवेंट्स की संख्या 80 तक पहुंच चुकी है।
इन्हीं में से रोचक इवेंट बैलगाड़ियों की दौड़ भी है। यहां एक साथ चार-चार बैलगाड़ियां इकट्ठा दौड़ती थी, यही इसके आकर्षण का केंद्र रही और देश-विदेश में ये खेल प्रसिद्ध हो गई। 1997 के गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी में किला रायपुर खेलों को शामिल किया गया था। वहां से भी इनको देश-विदेश में नई पहचान मिली।
बैलों की दौड़ के खिलाफ पशु क्रूरता का मसला उठाते हुए 2012 में गौरक्षा दल ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में पंजाब की बैलगाड़ी दौड़ और कर्नाटक के जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से किला रायपुर में बैलगाड़ी की दौड़ बंद हो गई थी।
आयोजक ग्रेवाल स्पोर्ट्स एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार जगबीर सिंह निक्कू ग्रेवाल की मानें तो बैलगाड़ी दौड़ न होने के कारण किला रायपुर खेल मेले का आकर्षण खत्म हो गया था। बैलगाड़ी दौड़ के वक्त कभी इन खेलों को देखने के लिए करीब डेढ़ लाख लोग आते थे, लेकिन दौड़ बंद होने के कारण दर्शकों की संख्या कम होकर 20 से 25 हजार ही रह गई।
पशु क्रूरता अधिनियम की कुछ शर्ताें को पूरा करते हुए पहले कनार्टक में जल्लीकट्टू को लेकर अध्यादेश लाया गया। वहां यह खेल फिर से शुरू हो गया, जिसके चलते लुधियाना में जुटने वाले खेल प्रेमियों के रोमांच को फिर से संजीवनी देने के लिए पंजाब सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाने की ठानी। रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसी तर्ज पर फैसला लिया गया कि किला रायपुर में फिर से बैलगाड़ियों की दौड़ कराई जाएगी।
इस बारे में एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया की महासचिव डॉ. नीलम का कहना है कि यह अच्छी पहल है। इस इवेंट पर एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया की टीमें बनाकर वहां भेजी जाएंगी, ताकि जानवरों से कोई क्रूरता न हो। साथ ही पंजाब बैलगाड़ी एसोसिएशन के महासचिव बलविंदर बैंस का कहना है कि एसोसिएशन ने पंजाब सरकार के फैसले पर खुशी जताई है। इस बार बैलगाड़ी दौड़ जरूर कराएंगे, ताकि किला रायपुर का सुनसान मैदान फिर से रोमांचक खेलों से भरपूर हो।
इस बार पूरा जमावड़ा दिखेगा। प्रधान ज्ञान सिंह ने कहा कि इस बार हमें इस मेले को कराने का मौका मिला। मेला 22 से 24 फरवरी तक चलेगा। पंजाब कैबिनेट ने बैलगाड़ी दौड़ के साथ कुत्तों और खरगोश की दौड़ को भी मंजूरी दी है। पंजाब बैलगाडी दौड़ एसोसिएशन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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