राष्ट्रविरोधी विमर्शों से लोकतंत्र के मंदिरों को ‘अपवित्र’ किया जाना चिंताजनक: धनखड़

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों – देश की विधायिकाओं – को राष्ट्रविरोधी विमर्शों से अपवित्र किया जाना चिंताजनक है और युवाओं को ऐसी नापाक गतिविधियों को बेअसर करना चाहिए।

धनखड़ ने बृहस्पतिवार शाम यहां पंजाब विश्वविद्यालय के एक दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन के दौरान आर्थिक राष्ट्रवाद का समर्थन करते हुए कॉरपोरेट, उद्योगों और व्यापार संघों से इसपर मिशन मोड में काम करने का आग्रह किया।

उन्होंने यह भी कहा कि आज देश के युवा संरक्षण, पक्षपात और भाई-भतीजावाद के दुःस्वप्न से मुक्त समान स्तर की प्रतिस्पर्धा में सक्षम हैं, जो सकारात्मक शासन व सिलसिलेवार नीतिगत पहलों के कारण संभव हुआ है।

उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम लिए बिना कहा, वे हमारे राष्ट्रवाद की कीमत पर राष्ट्र-विरोधी विमर्श को बढ़ावा देते हैं। ऐसे खतरनाक तत्व अराजकता की जड़ हैं…हमारे राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है कि ऐसी राष्ट्र-विरोधी सोच को निष्प्रभावी किया जाना चाहिए।

धनखड़ ने कहा कि इस देश के युवा ऐसा कर सकते हैं क्योंकि वे लोकतंत्र और विकास के सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं। सभा को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, “मुझे आपका ध्यान एक और पीड़ादायक परिदृश्य की ओर आकर्षित करना चाहिए। यह परेशान करने वाला और चिंताजनक है कि लोकतंत्र के मंदिरों, हमारी विधायिकाओं को राष्ट्र-विरोधी बयानों द्वारा अपवित्र किया गया है।”

उन्होंने कहा, विधायिका जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल हमारे राष्ट्रवाद को अपमानित करने, उन संस्थानों का अपमान करने के लिए कैसे किया जा सकता है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह हमारे राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को परेशान करने वाला है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘युवाओं को किसी अन्य से अधिक चिंतित होना चाहिए और आपको मिशन के तौर पर ऐसी नापाक गतिविधियों को बेअसर करने की आवश्यकता है।

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