बिहार के 2 जवान हुए शहीद, पिता ने कहा- एक ही बेटा था वो भी शहीद हो गया

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भागलपुर। कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। इनमें से 2 जवान बिहार के रहने वाले थे। जवान रतन कुमार ठाकुर भागलपर और संजय कुमार सिन्हा तरेगना के रहने वाले थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहीद सैनिको को नमन करते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की है।
उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ जवानों के ऊपर हमला आतंकियों की कायराना करतूत है। इस घटना के खिलाफ पूरा देश एकजुट है और पाकिस्तान को इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।
बहुत जतन से रतन को पाला था। मजदूरी की, जूस बेचा…कपड़े की फेरी की। उसे पढ़ाया-लिखाया। 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ। पहली पोस्टिंग गढ़वा में हुई। धीरे-धीरे दुख कम होने लगा। एक ही होनहार सपूत था मेरा, वह भी भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया। अब किसके सहारे जीएंगे। आतंकियों को भगवान कभी माफ नहीं करेंगे…। यह कहते हुए कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद रतन ठाकुर के पिता राम निरंजन ठाकुर फफक पड़े। बोले-गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे रतन ने पत्नी राजनंदनी को फोन किया था। कहा था कि श्रीनगर जा रहे हैं, शाम में पहुंच जाएंगे, इसके बाद बात करेंगे। शाम चार बजे उसके ऑफिस से फोन आया और रतन का मोबाइल नंबर लिया।

शंका हुई कि कहीं कुछ हुआ तो नहीं…। फिर छोटी बेटी नीतू से बोले कि जरा टीवी ऑन करो। टीवी पर आतंकी हमले की खबर चल रही थी, यह देखकर दिल बैठने लगा। रतन के बारे में जानने के लिए कमांडर को फोन मिलाया। उन्होंने कहा कि अभी कुछ नहीं बता सकते हैं। कुछ कंफर्म होगा तो बताएंगे। अब तो कोई फोन ही नहीं उठा रहा है। यह बोलते हुए वह सिसकने लगे। बताया कि मूल घर कहलगांव के अमडंडा की मदारगंज का रतनपुर गांव है। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर लेकर आ गए।
शहीद की पत्नी गर्भवती, होली में आने को कहा था : रतन के पिता ने बताया कि अभी तक उसकी पत्नी को कुछ भी नहीं बताए हैं। चार साल का पोता (कृष्णा ठाकुर) है। बहु गर्भवती है। एक दिन पहले जब रतन से  फोन पर बात हुई थी तो उसने कहा था कि होली इस बार घर में मनाएंगे। छोटी बहन नीतू की शादी सरकारी नौकरी करने वाले लड़के से करेंगे, आप चिंता मत कीजिएगा…। वह दुर्गापूजा के पहले ही घर से ड्यूटी पर गया था। भावुक होकर बोले- मेरा तो सबकुछ बर्बाद हो गया। रतन की मां 2013 में ही चल बसी।
रतन के चार वर्षीय बेटे कृष्णा को पता नहीं था कि उसके पिता शहीद हो गए हैं। वह अपने दादा (राम निरंजन ठाकुर) की गोद में था। पूछने पर बोला…पापा ड्यूटी पर गए हैं।
उनसे फोन पर बात हुई थी। क्या कहा था उन्होंने। कृष्णा बोला कि पापा ने कहा है सबको आप बाेलने के लिए। पापा ने बहुत खिलौना दिया है। बंदूक है, गाड़ी है और भी बहुत सारे खिलौने। फिर अपने पापा की तस्वीर देखकर चहक उठा-देखिए, यही हैं मेरे पापा…।
बेटी की शादी के लिए लड़का देखने आनेवाले थे संजय, अधूरी रही तमन्ना : तरेगना मठ निवासी संजय कुमार सिन्हा 15 दिन बाद गांव आने वाले थे। उन्हें बड़ी बेटी रूबी की शादी के लिए लड़का देखना था। 8 फरवरी को ही संजय गांव से ड्यूटी पर गए थे। एक दिन पहले ही पिता महेंद्र सिंह और पत्नी बबीता से बात की थी। कहा था- 15 दिनों में आ रहा हूं। छुट्टी का आवेदन दे दिया हूं।

गुरुवार की रात अचानक नालंदा के परवलपुर में रहने वाले बहनोई जितेंद्र कुमार को संजय की शहादत की सूचना मिली। फिर उन्होंने हिम्मत कर यह मनहूस खबर संजय के घरवालों को दी। फिर क्या था, गांव में कोहराम मच गया। उनकी दोनों बेटियां रूबी और छोटी व पत्नी दहाड़ मारकर रोने लगी। पिता ने कहा कि मेरा लाल देश की रक्षा में चला गया।
मेरा एक और बेटा शंकर सिंह सीआरपीएफ में है। वह राजगीर में है। संजय का बेटा सोनू कोटा में मेडिकल की तैयारी करता है। शहादत की खबर मिलने के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। परिजन व ग्रामीण पिता, पत्नी व बच्चों को ढांढ़स दिलाने में जुटे थे।

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