कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी भी लड़ेंगी चुनाव

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राजनीति में चुनाव उम्मीदवार लड़ता है लेकिन उसके साथ- साथ कई ऐसे बड़े चेहरे होते हैं जो सामने आए बिना ही उनके लिए तमाम चुनावी तैयारियां करते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद वो लोग अपने दूसरे काम में वापस लग जाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में अब मौसम बदल रहा है क्योंकि राजनीतिक गलियारे में शोर है कि मध्य प्रदेश के दो दिग्गज नेताओं के करीबी चुनाव में उतरने वाले हैं।
यह दो दिग्गज नेता खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ और पार्टी के शीर्ष नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं।दरअसल चर्चा है कि कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं।
छिंदवाड़ा से लोकसभा सांसद कमल नाथ को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा से चुनकर आना जरूरी है। ऐसे में वह छिंदवाड़ा सीट छोड़ेंगे। कमल नाथ के 42 वर्षीय बेटे नकुल नाथ को इस सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इसके अलावा कमल नाथ ने यह बात पार्टी हाई कमान तक पहुंचा भी दी है।नकुल अपने पिता के लिए चुनाव प्रचार का काम देखते है। वह कभी चुनाव नहीं लड़े और ना ही कांग्रेस पार्टी में कोई पद संभाला है। 10 फरवीर को कमाल नाथ जब उस क्षेत्र से गुजर रहे थे तो लोगों ने नकुल को छिंदवाड़ा से चुनाव लड़वाने के नारे भी लगाए।
कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना का कहना है कि जनता नकुल को भविष्य के सांसद के तौर पर देख रही है इसके अलावा जिले में कोई विकल्प ही नहीं है। हर कोई चाहता है कि नकुल ही चुनाव लड़ें। विधायक दीपक सक्सेना ने कहा कि वह कमलनाथ के लिए अपनी सीट भी छोड़ने के लिए तैयार हैं।बोस्टन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट नकुल का कहना है कि वह जिस दिन कुर्तार पजामा पहनने लगेंगे उस दिन से उन्हें उम्मीदवार समझा जाए अभी नहीं।
वहीं, दूसरी तरफ प्रियदर्शिनी राजे भी पहली बार संसदीय चुनाव लड़ सकती हैं। खबर है कि वह गुना सीट से चुनाव लड़ सकती है जहां की सीट फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास है अगर सिंधिया यह सीट नहीं छोड़ते हैं तो प्रियदर्शिनी ग्वालियर से चुनाव लड़ सकती हैं।वडोदरा के रजवाड़े खानदान के संग्रामसिंह गायकवाड़ और आशा राजे की 44 वर्षीय बेटी प्रियदर्शिनी मलूत: मुंबई में ज्यादा पली बढ़ी हैं।पार्टी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि हम चाहते हैं कि वह गुना या ग्वालियर कहीं से चुनाव लड़े। देश में संविधान और संस्थान दोनों खतरे में हैं ऐसे में हर सीट पर जीत जरूरी है और हालांकि अंतिम निर्णय आला कमान का होगा।

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