अब पारदर्शिता से मिलते हैं पद्म सम्मान, उपराष्ट्रपति ने 2014 से पहले मिलने वाले अवॉर्ड पर कही ये बात

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

गुवाहाटी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को दावा किया कि एक वक्त ऐसा था जब पद्म पुरस्कार संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन द्वारा संचालित होते थे। लेकिन अब इस प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिले हैं। धनखड़ ने आगे कहा, ‘हमने हाल के दिनों में देखा है कि पद्म सम्मान में परिवर्तनकारी बदलाव किए हैं। एक समय में इस सम्मान को सुरक्षित करने के लिए संरक्षण प्रेरक शक्ति और इवेंट प्रबंधन का उपयोग किया जाता था। उन्होंने कहा कि संरक्षण, मित्रता या यहां तक कि प्रबंधन के कारण प्राप्त पुरस्कार वास्तव में सम्मान नहीं है, क्योंकि इसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है। पिछले साल 106 पद्म पुरस्कारों का हुआ था एलान इससे पहले पिछले साल राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी, इनमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे। 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं थीं। पुरस्कार पाने वालों में 19 महिलाएं हैं। सात लोगों को मरणोपरांत इस सम्मान के लिए चुना गया है। पद्म सम्मान देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं और यह तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।पहले जानें पद्म पुरस्कारों के बारे में भारत सरकार ने देश के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान – भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1954 में की थी। इन पुरस्कारों से देश-विदेश के उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने किसी क्षेत्र में कोई प्रतिष्ठित व असाधारण कार्य किया हो, जिसमें लोक सेवा का तत्व जुड़ा हो।
हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। फिर मार्च या अप्रैल में होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्वारा विजेताओं को सम्मानित किया जाता है।सामान्यत: मरणोपरांत ये पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन कुछ विशिष्ट मामलों में सरकार के पास ये निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।नियम के अनुसार, किसी को अगर वर्तमान में पद्मश्री दिया गया है, तो फिर उसे पद्म भूषण या पद्म विभूषण अब से पांच साल बाद ही दिया जा सकता है। लेकिन यहां भी कुछ विशिष्ट मामलों में पुरस्कार समिति छूट दे सकती है। जिस दिन समारोह में राष्ट्रपति द्वारा सम्मान दिया जाता है, उसके बाद सभी विजेताओं के नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाते हैं।पहले क्या थे पुरस्कारों के नाम 1954 में जब भारत रत्न के साथ पद्म पुरस्कारों की शुरुआत हुई, तब सिर्फ पद्म विभूषण नाम अस्तित्व में आया था। पद्मश्री और पद्म भूषण नहीं।
पद्म विभूषण के अंतर्गत ही पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग के नाम से विजेताओं को सम्मान दिया जाता था।
हालांकि ये नामकरण सिर्फ एक साल ही चलन में रहा। फिर 8 जनवरी 1955 को राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी अधिसूचना में इन पुरस्कारों को पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण नाम दिया गया।

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