कुनबी सर्टिफिकेट पर भुजबल का बड़ा बयान; भीमा-कोरेगांव जांच मामले में प्रकाश आंबेडकर के गंभीर आरोप

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कुनबी समुदाय को प्रमाण पत्र देने के मामले में महाराष्ट्र सरकार में शामिल मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी सर्टिफिकेट जारी करने को लेकर जारी सरकारी अधिसूचना को लेकर जनता की आपत्तियां मांगी गई हैं। बकौल भुजबल, आवेदकों की बड़ी संख्या के कारण आपत्तियों को दर्ज कराने के लिए समय सीमा का विस्तार करना होगा। उन्होंने राज्य के सामाजिक न्याय विभाग से कहा कि सरकार को समय सीमा 16 फरवरी से आगे बढ़ानी होगी। बता दें कि मसौदा अधिसूचना 26 जनवरी को प्रकाशित हुई थी। आपत्तियां जमा करने की समय सीमा 16 फरवरी को समाप्त हो रही है।महाराष्ट्र की ही एक और बड़ी घटना में भीमा-कोरेगांव मामले की जांच को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं।

 

वंचित बहुजन अघाड़ी प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने आरोप लगाया है कि सरकार जांच को भटकाने के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेएन पटेल की अध्यक्षता में गठित आयोग की जांच में वे शामिल नहीं होंगे। आंबेडकर के मुताबिक उन्होंने जांच आयोग की तरफ से क्रॉस एग्जामिनेशन में शामिल नहीं होने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि सरकार जांच को भटकाने की ताक में है।बता दें कि जांच आयोग एक जनवरी, 2018 को कोरेगांव भीमा की लड़ाई के द्विशताब्दी समारोह के दौरान हुई हिंसा की जांच कर रहा है। इस घटना के एक दिन पहले ही एल्गार परिषद कार्यक्रम भी संपन्न हुआ था। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जे एन पटेल आयोग की अध्यक्षता कर रहे हैं।

अंबेडकर ने आगे कहा कि उन्होंने पद से नहीं हटने का फैसला किया था, लेकिन आयोग से समन मिलने के बाद एक कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में ऐसा किया। उन्होंने दावा किया है कि दुर्भाग्य से, आयोग के पास कोई पावर नहीं हैं। अब सरकार की ओर से वकील के जरिए जांच को भटकाने की कोशिश की गई. इसीलिए मैंने पद छोड़ दिया।

प्रक्रिया के लिए एक माह का दिया जाता है वक्तवहीं कुनबी समुदाय को प्रमाण पत्र देने के मामले में महाराष्ट्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गैर-अधिसूचित जनजाति, खानाबदोश जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग (जारी करने का विनियमन) के आधार पर भुजबल ने बताया, ‘महाराष्ट्र सरकार ने एक मसौदा अधिसूचना प्रस्तावित की है। हालांकि, इस पर आपत्तियां जमा करने की समय सीमा 16 फरवरी को समाप्त हो रही है। एक सामान्य नियम है कि इस प्रक्रिया के लिए एक महीने का समय दिया जाता है।’ . भुजबल ने कहा, टमुद्दा कानूनी है। इसलिए, कम से कम एक महीने का समय होना चाहिए ताकि दूरदराज के गांवों के लोग मेल के माध्यम से अपनी बात रख सकें। राज्य सरकार को अब 16 फरवरी से 15 दिनों का विस्तार देना चाहिए।’

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