राष्ट्रीय जजमेंट
सरकारी बंगला खाली करने के नोटिस के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने वाली निष्कासित लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा को अदालत से बृहस्पतिवार को राहत नहीं मिली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मोइत्रा को सरकारी आवास खाली करने के लिए जारी नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने कहा कि अदालत के समक्ष किसी विशेष नियम का उल्लेख नहीं किया गया है, जो सदस्यता रद्द होने पर सांसदों को सरकारी आवास से बेदखल करने से संबंधित हो।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता (मोइत्रा) के निष्कासन के मुद्दे के लंबित होने और सरकारी आवास खाली करने के लिए समय के विस्तार के मुद्दे से जुड़े होने के मद्देनजर, आज की तारीख में याचिकाकर्ता के पास (बंगला खाली नहीं करने के अनुरोध का) कोई अधिकार नहीं है।
यह अदालत इस स्तर पर बेदखली आदेश को रोकने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने की इच्छुक नहीं है। तदनुसार, आवेदन खारिज किया जाता है।’’
अदालत ने तृणमूल कांग्रेस नेता की याचिका को आगे की सुनवाई के लिए 24 जनवरी को सूचीबद्ध किया, जिसमें उन्होंने संपदा निदेशालय (डीओई) द्वारा जारी बेदखली नोटिस को चुनौती दी है। मोइत्रा ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल अर्जी में चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए अधिकारियों को उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने से रोकने का अनुरोध किया था।
सरकारी आवास खाली करने के लिए संपदा निदेशालय (डीओई) के नोटिस को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस नेता ने अनुरोध किया कि फिलहाल उन्हें परिसर से बाहर न निकाला जाए क्योंकि वह एक अकेली महिला हैं और यहां एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
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