किसानों की मुश्किलों के हल के लिए सरकार ने किए चौतरफा प्रयास

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लाभार्थियों से बातचीत की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सभा को संबोधित भी किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से विकसित भारत संकल्प यात्रा के कई लाभार्थियों ने भाग लिया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2-3 दिन पहले ही विकसित भारत संकल्प यात्रा ने अपने 50 दिन पूरे किए हैं। इतने कम समय में इस यात्रा से 11 करोड़ लोगों का जुड़ना अपने आप में अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकार खुद पहुंच रही है, उसे अपनी योजनाओं से जोड़ रही है। विकसित भारत संकल्प यात्रा सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि देश की यात्रा बन चुकी है। सपनों, संकल्पों और भरोसे की यात्रा बन चुकी है।

मोदी ने कहा कि हम देश की एक बहुत बड़ी आबादी को रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए होने वाले संघर्षों से बाहर निकालना चाहते हैं। इसलिए हम गरीबों, महिलाओं, किसानों और युवाओं के भविष्य पर फोकस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा का सबसे बड़ा मकसद है कि कोई भी हकदार सरकारी योजना के लाभ से छूटना नहीं चाहिए। कई बार जागरूकता की कमी से या दूसरे कारणों से कुछ लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोगों तक पहुंचना हमारी सरकार अपना दायित्व समझती है। इसलिए मोदी की गारंटी की ये गाड़ी गांव-गांव जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जबसे ये यात्रा शुरू हुई है, तबसे लगभग 12 लाख नए लाभार्थियों ने उज्ज्वला योजना के मुफ्त गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया है। कुछ दिन पहले मैं अयोध्या में उज्ज्वला की 10 करोड़वीं लाभार्थी बहन के घर गया था। उन्होंने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों के स्वास्थ्य की जांच हुई है। इसी समय में 1 करोड़ लोगों की TB की बीमारी की भी जांच हुई है। 22 लाख लोगों की सिकल सेल एनीमिया की जांच हुई है। ये सारे लोग गांव, गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी समाज के लोग हैं। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि सरकार के इन प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ हमारी करोड़ों माताओं बहनों को मिल रहा है।

मोदी ने कहा कि आज महिलाएं खुद आगे आकर नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। पहले ऐसी अनेक बहनें थीं, जिनके पास सिलाई, बुनाई, कढ़ाई जैसी कोई न कोई स्किल थी, लेकिन उनके पास अपना काम शुरू करने के लिए कोई साधन नहीं था। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना ने उन्हें आने सपनें पूरे करने का भरोसा दिया है। आज गांव-गांव में रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में किसानों और कृषि नीति को लेकर जो चर्चाएं होती हैं, पहले की सरकारों में उनका दायरा भी बहुत सीमित था। किसान के सशक्तिकरण की चर्चा सिर्फ पैदावार और उसकी उपज की बिक्री के इर्दगिर्द ही सीमित रही। जबकि किसान को अपने दैनिक जीवन में भांति-भांति की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More