नई दिल्ली: दिल्ली के सराय काले खां स्थित रैन बसेरे को दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड ने ही विध्वंस कर दिया। हालाकि दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड की जिम्मेदारी बेघर लोगों का पुनर्वास कराने की है, पर यहां तो रक्षक ने ही खुद भक्षक बनकर रैन बसेरे को उजाड़ दिया।डीडीए ने 31 जनवरी को डूसिब को रैन बसेरे को जी20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कही ओर स्थानांतरित करने के लिए पत्र लिखा था। वही दिल्ली पुलिस ने भी सात फरवरी को रैन बसेरे को बीसी और हिस्ट्रीशीटरों का पसंदीदा ठिकाना बताकर लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देकर कही ओर शिफ्ट करने को लेकर डूसिब को लिखा था।
दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड ने रैन बसेरे को तत्काल विध्वंस करने की योजना बनाई और दिल्ली पुलिस से फ़ोर्स की मांग की है। 15 फरवरी को सुबह 10:30 बजे रैन बसेरे को विध्वंस करने की योजना बनाई पर डूसिब ने सुबह 9:30 से ही विध्वंस करने का कार्य शुरू कर दिया ताकि न्यायपालिक का कार्य शुरू होने से पहले ही रैन बसेरा विध्वंस हो जाए।
रैन बसेरे में रहने वाले आरडी शर्मा ने कहा की किया, “हम अपराधी नहीं हैं और अगर पुलिस के पास कोई आरोप है, तो उन्हें यहां रहने वाले आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों की सूची बनानी चाहिए और उन्हे गिरफ्तार करना चाहिए। इस तरह के बेबुनियाद आरो लगाकर रैन बसेरे को तोड़ कर हमे सड़क पर सोने के लिए मजबूर करना उचित है! अन्य ने कहा “हम गरीब और बेघर हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सभी चोर हैं। अगर पुलिस की हमारे बारे में पहले से ही ऐसी धारणा है, तो जरूरत पड़ने पर हम किससे संपर्क करे?
रैन बसेरे में रहने वाले एक बेघर ने बताया की में दिल्ली में कमाने आया था तभी से यही रह रहा था, आज मेरे सामने ही रैन बसेरे को उजाड़ दिया। रक्षक ही भक्षक बने है यह देख कर बहुत दुःख हो रहा है। रैन बसेरे को ध्वस्त होता देख आत्मा रो रही है।मूल बिजनौर के निवासी महफूज आलम ने बताया की में रैन बसेरे में रहता था, आज हमारे सामने ही तोड़ा जा रहा है। ये हमारे लिए दूसरा घर ही था। पर गरीबों की सुनने वाला यहां कोई नही है।सीएचडी के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार आलेडिया ने कहा की 14 फरवरी को हमने दिल्ली के उप राज्यपाल को रैन बसेरे को स्थानान्तरण एवं पुनर्वास कराने हेतू पत्र लिखा था। उन्होंने आगे कहां की ये करदाता के पैसों की बरबादी है।
सरकार इसको कही ओर शिफ्ट भी कर सकती थी लेकिन उन्होंने इसे तोड़ दिया। इससे पहले भी निज़ामुद्दीन में शेल्टर होम को भी इसी तरह तोड़ा गया था। उसमें डीडीए ने शिकायत दी थी, जिसकी जांच करे बिना ही शेल्टर तोड़ दिया था। आलेडिया ने कहां की डूसिब में पुनर्वास निदेशक पी के झा जो पुनर्वास निदेशक होने के बावजूद खुद शेल्टर घ्वस्त करवा रहे है। इसके लिए डूसिब में पुनर्वास निदेशक और सीईओ गरिमा गुप्ता सीधे जिम्मेदार है। उन्होंने सीईओ गरिमा गुप्ता पर आरोप लगाया की उनके पति आईपीएस होने के कारण उन्हे पुलिस फॉर्स भी तुरंत मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट की राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने ये मानवीय अधिकारों का हनन है, जितनी निदा की जाए उनती कम है। रैन बसेरे में रह रहे गरीबों को चोर, बदमाश बताकर उनके रहने का ठिकाना छीन ना कानूनी अपराध है। डीडीए, दिल्ली पुलिस और डूसिब तीनो ने मिलकर इन बेघारो का रहने का अधिकार छीन है। उनके खिलाफ़ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। डूसिब ने न्यायालय के आदेश पर शेल्टर बनाया था। शेल्टर जनता के पैसों से बना था, ये पोर्टा केबिन था जिसको खोल कर कही ओर भी बना सकते थे।
पोर्टा केबिन को डूसिब ने तोड़ा है। जिम्मेदार डूसिब की सीईओ गरीमा गुप्ता और संबंधित अधिकारियों की तनख्वाह से इसका पैसा वसूला जाना चहिए। संबधित विभागों को पहले बेघरों का पुनर्वास कराना चाहिए फिर शेल्टर खाली करवाते। इससे पहले भी डीडीए पांच शेल्टर तोड़ चुकी है। शेल्टर तोड़ते समय वही पर डूसिब के पुनर्वास निदेशक पी के झा भी मौजुद थे, पुनर्वास निदेशक पी के झा के सामने ही शेल्टर टूट रहा था इससे बडी शर्म की बात क्या हो सकती है।उन्होंने आगे कहां की इसको लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया पर डूसिब ने सुबह नव बजे से ही शेल्टर तोड़ने की कार्यवाही शुरू कर दी थी। जिसके कारण पुनर्वास को लेकर 22 फ़रवरी को सुनवाई होगी।
दिल्ली शेल्टर बोर्ड के अनुसार कोड नंबर 235 में 54 लोगों के सोने की सुविधा है। यह आईएसबीटी के पास होने के कारण देश भर के लोग अक्सर रहने की सुविधा का लाभ उठाते हैं। यही सोने वालों को बेड, कम्बल, दो टाईम का भोजन और सुबह चाय नाश्ता दिया जाता है। यहां 11 फरवारी को 45, 12 को 40 , 13 को 36 और 14 फरवरी को 44 लोगो ने आश्रय लिया था।
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