केजरीवाल के तानाशाही रवैये को जिम्‍मेदार ठहराते हुए, सुखपाल सिंह खैरा ने भी AAP छोड़ी

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पंजाब से आम आदमी पार्टी (आप) के बागी विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी उस विचारधारा एवं सिद्धांतों से ‘‘पूरी तरह भटक चुकी’’ है जिनके आधार पर अन्ना हजारे आंदोलन के बाद उसका गठन हुआ था।
पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते पिछले साल नवंबर में पार्टी से निलंबित किए गए खैरा ने अपना त्यागपत्र आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेज दिया है। बता दें कि इनसे पहले एचएस फुल्का ने भी आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने भी पार्टी नेताओं के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बोलाथ से विधायक ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘‘देश की पांरपरिक पार्टियों की वर्तमान राजनीतिक संस्कृति बुरी तरह बिगड़ चुकी है जिसके चलते आप के गठन से बहुत उम्मीदें जगीं थीं।’’ खैरा ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से पार्टी में शामिल होने के बाद मैंने महसूस किया कि आप का पदक्रम भी पारंपरिक केंद्रीकृत राजनीतिक पार्टियों से अलग नहीं है।’’
पिछले साल जुलाई में पंजाब विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए जाने के बाद से वह आप नेतृत्व के मुखर आलोचक रहे हैं। पद से हटाए जाने के बाद खैरा ने सात समर्थकों के साथ बागियों के एक समूह का गठन किया जिसने पार्टी की पंजाब इकाई के लिए स्वायत्तता की मांग की।
वहीं, दूसरी ओर एच एस फुलका ने भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय गोयल को जन्मदिन की बधाई देने के लिए शनिवार को मुलाकात की। गोयल ने फूलका को ‘अच्छा मित्र’ बताते हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को सजा दिलवाने के लिए उनकी कानूनी लड़ाई की प्रशंसा की।
 सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में गोयल और फूलका के बीच यह दूसरी मुलाकात है। सूत्रों का दावा है कि बृहस्पतिवार को आप से इस्तीफा देने से पहले भी उन्होंने भाजपा नेता से मुलाकात की थी।
फूलका आप से इस्तीफा देने की वजहों के बारे में बात करने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने पंजाब में मादक पदार्थ के खतरों से लड़ने और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के राजनीतिकरण के खिलाफ गैर-राजनीतिक संगठन बनाने की इच्छा जाहिर की है।

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हालांकि फूलका आप और कांग्रेस के बीच किसी भी तरह के गठबंधन के विरुद्ध थे। हालांकि दोनों पार्टियों के बीच चुनाव से पूर्व गठबंधन की बात चल रही है जबकि दोनों ही आधिकारिक तौर पर इससे इंकार कर रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि
राजीव गांधी से भारत रत्न छीनने की मांग पर आम आदमी पार्टी के रुख से भी फूलका नाराज थे। फूलका ने अपने अगले राजनीतिक कदम की घोषणा नहीं की है। हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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