कोलकाता: भाजपा द्वारा पश्चिम बंगाल में प्रस्तावित रथ यात्रा को कलकत्ता हाई कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद ममता सरकार ने डिवीजन बेंच के पास पहुंची है।
बता दें, ममता सरकार ने राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का तर्क देते हुए यात्रा की अनुमति देने से इनकार किया था। बता दें, भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी ‘गणतंत्र बचाओ यात्रा’ की शुरुआत 22 दिसंबर को कूच बिहार से करने वाली है।
कलकत्ता हाई कोर्ट रथ यात्रा को मंजूरी मिलने के बाद ममता सरकार ने फैसला अपने हक में न आने पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच से इसपर निर्णय देने को कहा है।
सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की इस अपील के बाद शुक्रवार को यह मामला चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा जाएगा। पहले भी कोर्ट से ममता सरकार को निराशा हाथ लगी थी।
अदालत ने भाजपा को भी स्पष्ट किया है कि यात्रा कानून के दायरे में रहते हुए निकाली जाएगी। अगर इस दौरान सरकारी संपत्ति का नुकसान होता है तो इसके लिए भाजपा जिम्मेदार होगी।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें सांप्रदायिक तनाव की आशंका जताई गई थी। कोर्ट ने कई निर्देश भी दिए न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती ने राज्य भाजपा को निर्देश दिया कि
किसी भी जिले में रथयात्रा के प्रवेश से कम से कम 12 घंटे पहले उक्त जिले के पुलिस अधीक्षक को सूचित कर दिया जाए। सामान्य यातायात व्यवस्था बाधित ना हो।
अदालत ने पुलिस अधिकारियों को भी पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के साथ यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि कहीं भी कानून का उल्लंघन ना हो।
गुरुवार को भाजपा की रथयात्रा को अनुमति देने वाले न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती ने ही इसके पहले भाजपा की पहली याचिका पर अनुमति नहीं देने का फैसला किया था।
तब रथयात्रा की वास्तविक तारीख सात दिसंबर से ठीक पहले 6 दिसंबर को राज्य सरकार द्वारा इजाजत नहीं देने पर भाजपा अदालत में पहुंची थी।
इधर, फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल महासचिव व राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि हम फैसले का अध्यन कर आगे फैसला लेंगे।
सभी दलों को अधिकार ‘सरकार कल्पना के आधार पर या अन्य राज्य में क्या हो रहा है, उस आधार पर सांप्रदायिक हिंसा की आशंका नहीं जता सकती। लोकतंत्र में सभी दलों को अपनी बात रखने का अधिकार है।’
कलकत्ता हाई कोर्ट