उत्तर प्रदेश : पशुपालन विभाग में 50 करोड़ के घोटाले की होगी जांच- CMयोगी

पशुपालन विभाग में करीब 50 करोड़ का घोटाला सामने आया है. खरीद में गड़बड़ी मिलने के बाद मामले की जांच का जिम्मा समन्वय विभाग के विशेष सचिव रामसहाय यादव को सौंपी गई है. वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी ने पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने के आदेश दे दिए हैं.

पशुपालन विभाग में पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की सामग्री दो गुने से भी अधिक रेट में खरीदी गई है। मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ने जो उपकरण 50 हजार रुपया में खरीदा है, उसी को उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग ने सवा लाख में खरीदा है। पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की सामग्री खरीद में भी करोड़ों की हेराफेरी के मामले से खलबली मची है। इस घोटाले की जानकारी मिलते ही पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह अपर मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे को जांच का आदेश दिया है। जांच के आदेश के साथ ही उन्होंने तीन दिन में ही रिपोर्ट भी मांगी है।

शुरुआती जांच में पता चला है कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पशुओं के उपचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न उपकरणों और वस्तुओं की खरीद बाज़ार मूल्य से दुगुनी से भी ज़्यादा क़ीमत पर कर ली. जिस कोल्ड बॉक्स को मध्य प्रदेश में 50 हजार से कम में खरीदा गया, उसे उत्तर प्रदेश में पशुपालन विभाग ने 1 लाख, 27 हजार 700 रुपए में खरीद लिया.

यही नहीं चहेती फर्मों को लाभ देने के लिए टेंडर प्रक्रिया में भी जमकर धांधली की गई. इन सभी सामान की खरीद तत्कालीन निदेशक रोग नियंत्रण डॉ आरपी सिंह, डॉक्टर इंद्रमणि और डॉक्टर जेपी वर्मा के कार्यकाल में की गई. ज़िलों के स्तर पर इस्तेमाल की जाने सामान की आपूर्ति भी सीधे ज़िलों को ना कराकर पशुपालन विभाग के मुख्यालय पर कराई गई. ऐसे में मुख्यालय से सामग्री संबंधित जनपद को उपलब्ध कराने में अतिरिक्त खर्च आया.

जेम पोर्टल पर खरीद किए जाने की न्यूनतम अवधि 10 दिन की होती है लेकिन कोविड की शर्त दिखाकर सिर्फ 5 दिन की बिड की गई, जबकि यह सामग्री कोविड की जरूरत के अंतर्गत नहीं आती. सामग्री की आपूर्ति मुख्यालय स्तर पर 26 जुलाई 2021 से 26 अगस्त 2021 के बीच कराई गई, लेकिन ज़िलों को लगभग 8 महीने बाद 22 मार्च 2022 तक सारा सामान भेजा गया.

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