सपा का रुतबा राष्ट्रीय स्तर पर घटा, मंडरा रहा राज्यसभा की कमेटी से बाहर होने का खतरा

सपा का रुतबा राष्ट्रीय स्तर पर घटा है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या बढ़ी है लेकिन राज्यसभा से लेकर विधान परिषद तक उसकी धाक कम हुई है। ऐसे में राज्यसभा की कमेटी से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है तो विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद भी खोना पड़ सकता है। इससे पार्टी के सामने राष्ट्रीय राजनीति में चुनौतियां बढ़ेंगी। इस लिहाज से भी आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा का उपचुनाव अहम है।
विधानसभा चुनाव में सपा के विधायकों की संख्या 47 से बढ़कर 111 हो गई है। सहयोगी दलों को जोड़ दें तो यह संख्या 125 हो गई है लेकिन विधान परिषद में पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर हुई है। प्राधिकारी क्षेत्र चुनाव में 33 सीटें गंवाने के बाद सपा के 17 एमएलसी बचे थे। 26 मई तक छह सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया। वहीं छह जुलाई को भी छह अन्य सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। ऐसे में चार नए चयनित सदस्यों को जोड़ दें तो छह जुलाई के बाद कुल संख्या नौ बचेगी। नियमानुसार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद बनाए रखने के लिए 10 एमएलसी जरूरी होते हैं। अभी नेता प्रतिपक्ष के पद पर लाल बिहारी यादव हैं। ऐसे में प्रदेश की सियासत में नेता प्रतिपक्ष का पद सुर्खियों में हैं।
राज्यसभा में सपा के पांच सदस्य हैं। इनमें से तीन का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। इनकी जगह पार्टी ने राज्यसभा में तीन नए सदस्य भेजे हैं लेकिन उसके खाते में सिर्फ एक सदस्य का नाम जुड़ेगा। क्योंकि कपिल सिब्बल निर्दलीय सदस्य हैं तो जयंत चौधरी राष्ट्रीय लोकदल से। ऐसे में राज्यसभा में प्रो. रामगोपाल यादव, जया बच्चन और जावेद अली सपा की नुमाइंदगी करेंगे।

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