यमुना खादर : बसती गईं कॉलोनियाँ, बाढ के खतरे के नाम पर बनता रहा बजट

जनपद में अप्रैल 2016 में चिन्हित हुईं थीं ऐसी 250 अवैध कॉलोनी

मथुरा । जनपद में पोइया घाट पर यमुना लाल निशान पर पहुंच गई है, गोकुल बैराज से आगरा की तरफ यमुना में पानी का डिस्चार्ज बढ़ाया जा रहा है, रविवार की शाम चार बजे तक गोकुल से यमुना में 42,295 क्यूसेक पानी चल रहा है, उधर हरियाणा स्थित ताजेवाला (हथिनीकुंड) बैराज से 15876 व ओखला बैराज से यमुना में 41674 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है ।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार शाम चार बजे वॉटर वर्क्स पर यमुना का जलस्तर 489.4 फीट पहुंच गया है, मथुरा सहित प्रदेश के कई जनपदों में नदियां उफान पर आ गई हैं, दिल्ली स्थित ओखला बैराज से एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद जिले में यमुना का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है, जिले में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच चुका है, इसके चलते सोमवार को बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में भरने लगा है, वृंदावन के खादर क्षेत्र में स्थित रशियन बिल्डिंग के आसपास की कालोनियों में पानी भर गया है, देवराहा बाबा घाट, केसी घाट और कुंभ मेला क्षेत्र पूरी तरह डूब गया है, इससे इलाके के लोगों की धड़कनें बढ़ गईं हैं, बाढ़ के खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने गोकुल बैराज के 14 गेट खोलकर लगभग 42 हजार 295 क्यूसेक पानी आगरा की ओर छोड़ा है ।
वहीं आगरा में भी यमुना नदी उफान पर बह रही है, बल्केश्वर इलाके के खेतों में बाढ़ का पानी बढ़ गया है, कायदे कानूनों को ताकपर रखकर हर साल यमुना की तलहटी में आबादी बसाई जा रही है, साथ ही शासन बरसात के दिनों में इन आबादियों को बचाने के लिए बाढ प्रबंधन के नाम पर बडी कवायद करता है, अधिकारियों का कहना हैं कि मुख्यमंत्री का निर्देश है कि बाढ़ से प्रदेश में जनधन की हानि ना हो, इसी को दृष्टिगत रखते हुए सभी संवेदनशील जनपदों में बाढ़ निरोधक कार्य कराये जा रहे हैं ।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मथुरा, वृंदावन के यमुना खादर में आवासीय कॉलोनियों और बहुमंजिला इमारतों के बनने का क्रम जारी है, भले ही विकास प्राधिकरण खादर में बसी इन कॉलोनियों और इमारतों को ध्वस्त कराने का दावा करता रहा है लेकिन भूमाफिया इन दावों के हकीकत की लगातार पोल खोल रहे हैं, प्रशासन की मौन स्वीकृति पर खादर में अवैध निर्माण से अधिकारियों और भूमाफियाओं को भी फायदा हो रहा है, 2016 में विकास प्राधिकरण ने जब तक आंख खोलकर देखा, तब तक 250 से अधिक अवैध कॉलोनियों में आलीशन भवन खड़े हो चुके थे, इस दौरान विप्रा का दायरा भी बढ़ा और साथ ही अवैध कॉलोनियों का आंकडा भी बढ़ता रहा है, यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी बना हुआ है, अप्रैल 2016 में ऐसी ही 250 अवैध कॉलोनियों पर निशान भी लगाये गये थे ।
विकास के बढ़ते दायरे और बढ़ती आबादी का सुनहरा मौका देख मथुरा में कॉलोनियों की कतारें खड़ी होती रहीं हैं, प्लॉट पर अप्रूव्ड का बोर्ड लगाकर लोगों की आंखों में धूल झोंकी गई, एक के बाद एक अवैध कॉलोनियां बसतीं गईं और कॉलोनाइजर्स मोटी कमाई करते रहे, दलालों की जेब भारी होती चली गई, यमुना में करीब 20 साल से अवैध कॉलोनियां बसाई जा रही हैं, हाईकोर्ट ने 2003 में 137 लोगों को नोटिस जारी कर निर्माण ध्वस्तीकरण के आदेश दिये थे, साल 2017 तक 180 लोगों को नोटिस जारी किये गये जिसकी कार्यवाही में करीब 120 भवन ध्वस्त कर दिये गये, 2010 में एक बार फिर अदालत ने यमुना किनारे बनाये जा रहे अर्द्धचंद्राकार पुल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनाई के बाद अवैध निर्माण को गिराने के आदेश जारी कर दिये, प्रशासन ने नोटिस चस्पा और पैमाइश करने तक ही कार्यवाही को समेट लिया, वर्ष 2013 में अदालत ने सख्ती दिखाते हुए जिला प्रशासन को अवैध अतिक्रमण हटाने के तीसरी बार आदेश दिये थे ।
यमुना खादर में कालोनी विकसित करने वालों पर सख्त कार्रवाही के सवाल पर जलशक्ति मंत्री ने मथुरा वृन्दावन के डूब क्षेत्र में अवैध कब्जा किये जाने की शिकायत मिलने पर सख्त से सख्त कार्यवाही किये जाने की बात कही है, जलशक्ति मंत्री के अनुसार उत्तर प्रदेश में 42 जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं, सभी जनपदों में समय से ऐतिहासिक कार्य हुए हैं ।
जनपद के शहरी क्षेत्र में आबादी बढ़ने के साथ ही कॉलोनाइजर्स और बिल्डरों की तादाद बढ़ने लगी है, मथुरा, वृंदावन में भूमि की खरीद-फरोख्त के कारोबार ने तेजी से गति पकड़ी और अवैध कॉलोनियों में विद्युत विभाग ने भी कनेक्शन देना शुरू कर दिया और राजस्व विभाग राजस्व वसूलने में सक्रिय रहा, कृषि भूमि को आबादी में दिखाकर कॉलोनाइजर्स और बिल्डरों के नाम बैनामा कराने में विभागीय अधिकारी मालामाल होते चले गये ।
रिपोर्ट – संजय चौधरी 

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