16 मरीजों की मौत के बाद भी ‘श्री पारस हॉस्पिटल’ के चिकिस्तक को प्रशासन से मिली राहत

श्री पारस अस्पताल की दमघोंटू मॉकड्रिल के वायरल वीडियो मामले में 22 मरीजों की मौत के आरोप लगे थे। दस दिन बाद जिला प्रशासन की जांच पूरी हो गई। शुक्रवार रात जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने प्रेसनोट जारी किया। जिसमें 26 व 27 अप्रैल को 48 घंटे के डेथ ऑडिट में 16 मृतक मिले हैं। वीडियो वायरल होने पर डीएम ने सात मौतों का दावा किया था। प्रशासनिक जांच में 16 मरीजों की मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं बल्कि मरीजों में संक्रमण की गंभीर स्थिति और अन्य बीमारियां को माना गया है।

28 अप्रैल के श्री पारस अस्पताल के चार वीडियो वायरल हुए। जिनमें संचालक डॉ. अरिन्जय जैन 26 अप्रैल का किस्सा बयान कर रहे थे। वीडियो में कहीं गईं बातों को लेकर पूरे सूबे में हड़कंप मच गया था। मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेकर पूरे मामले की जांच के आदेश डीएम प्रभु एन सिंह को दिए। दो जांच कमेटियां बनाईं गईं। चार सदस्यीय एसएन चिकित्सकों की कमेटी ने 26 व 27 अप्रैल को श्री पारस अस्पताल में हुई मौतों का डेथ ऑडिट किया।

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एडीएम सिटी की दो सदस्यीय कमेटी ने मृतकों के परिजनों के बयान दर्ज किए। सात जून को वायरल हुए वीडियो की शुक्रवार रात आई जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच में डॉ. अरिन्जय जैन को ऑक्सीजन बंद, मॉकड्रिल, 22 मरीज छंटनी जैसे आरोपों पर अघोषित क्लीनचिट दी गई है। डॉ. जैन को सिर्फ मरीजों को डिस्चार्ज करने और महामारी फैलाने के आरोप सिद्ध हुए हैं। प्रशासनिक जांच में मरीजों की मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई।
मॉकड्रिल के समय हुई छह मौतें

– वीडियो में डॉ. अरिन्जय जैन सुबह सात बजे मॉकड्रिल की बात कह रहे थे। डीएम ने बताया कि छह मृतक ऐसे हैं जिनकी मृत्यु का समय मॉकड्रिल के समय से मिल रहा है। हालांकि जांच में मॉकड्रिल को ऑक्सीजन निर्धारण की प्रक्रिया माना गया है।

आरोपितों के बयानों पर बनाई जांच रिपोर्ट
– मॉकड्रिल मामले में प्रत्यावेदन देने वाले नरेश पारस व जनप्रहरी नरोत्तम शर्मा ने प्रशासनिक जांच में लीपापोती के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि पीड़ितों के बयानों पर जांच नहीं की गई। आरोपितों के बयानों के आधार पर पूरी जांच रिपोर्ट बनाई है। इस मामले की जांच हाईकोर्ट की कमेटी को करनी चाहिए।

सवालों के जवाब अधूरे
26 अप्रैल को अस्पताल में कुल कितने मरीज भर्ती थे
– कितने मरीज वेंटीलेटर व हाईफ्लो ऑक्सीजन पर थे
– 26 से 28 अप्रैल तक कितने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए
– गैर जिलों के कुल कितने मरीज थे, कितनों ने दम तोड़ा
– मृतकों के परिजनों के बयानों पर क्या कार्रवाई हुई
– वीडियों जांच के लिए फोरेंसिक लैब क्यों नहीं भेजे गए

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