भारत में दूर होगी टीके की किल्लत, दूसरी कंपनियां भी बनाएंगी कोवैक्सिन, जानिए म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण

आर जे न्यूज़-

देश में पिछले एक हफ्ते में रोजाना कोरोना संक्रमण के मामलों में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन संक्रमण के कारण मौतों की दर अभी भी उच्च ही बनी हुई है। बीते 24 घंटे में संक्रमण के तीन लाख 43 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं जबकि 3,900 से अधिक मरीजों की मौत हुई है। हालांकि इस दौरान देश में अब तक 18 करोड़ कोरोना के टीके भी लगाए जा चुके हैं, लेकिन वैक्सीन को लेकर अभी भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

रिपोर्ट आने के बाद से आइसोलेशन का दिन काउंट करना होता है या लक्षण आने के बाद से?:-
दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. अनुपम प्रकाश कहते हैं, ‘जब से लक्षण आ रहे हैं, तभी से आइसोलेशन पीरियड काउंट करना चाहिए। रिपोर्ट आने के बाद से काउंट तब करते हैं, जब कोई एसिम्प्टोमैटिक होता है या किसी से संपर्क में आए होते हैं। अगर किसी में लक्षण नजर आ रहे हैं तो 17 दिनों तक आइसोलेशन में रहें। अगर इस पीरियड में लगातार तीन से छह दिन तक बुखार, खांसी, सांस फूलने आदि की समस्या नहीं है तो परिवार के साथ रह सकते हैं। लेकिन, अगर बुखार कम करने और कोविड के इलाज की कई अन्य दवा ले रहे हैं तो आइसोलेशन पूरा कर लें।’

प्लाज्मा कब दे सकते हैं? क्या माइल्ड इंफेक्शन (हल्का संक्रमण) वाले भी प्लाज्मा दे सकते हैं?:-
डॉ. अनुपम प्रकाश कहते हैं, ‘प्लाज्मा ब्लड में पाया जाता है। अगर खून के लाल कण, सफेद कण और प्लेटलेट निकाल देते हैं तो बचा हुआ प्लाज्मा कहलाता है। जब प्लाज्मा निकाला जाता है तो खून से केवल प्लाज्मा निकलते हैं, बाकी के तत्व शरीर में ही रहते हैं। ये बहुत ही आसान प्रक्रिया है और इसे कोविड से ठीक होने के कम से कम चार हफ्ते बाद दे सकते हैं। अगर किसी को माइल्ड इंफेक्शन (हल्का संक्रमण) रहा है तो वह भी दे सकता है। आजकल एंटीबॉडी चेक कर ली जाती हैं कि व्यक्ति में बनी है या नहीं।’

क्या वैक्सीन लेने से कुछ दिन के लिए शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है?:-
डॉ. अनुपम प्रकाश कहते हैं, ‘ये धारण पूरी तरह से सही नहीं है। अगर कोई वैक्सीन लगवाता है तो शरीर की इम्यूनिटी कम नहीं होती है। हां, कई लोग कहते हैं कि वैक्सीनेशन सेंटर पर जाने के बाद कोरोना हो गया है, तो वह वैक्सीन से इम्यूनिटी कम होने की वजह से नहीं बल्कि कहीं न कहीं चूक से हुआ है, क्योंकि मुंह और नाक से ही वायरस शरीर में प्रवेश करेगा, तो लापरवाही हुई है, तभी कोरोना हो सकता है।’

म्यूकरमाइकोसिस क्या है? इससे बचने के लिए क्या सावधानी रखनी होगी?:-
डॉ. अनुपम प्रकाश कहते हैं, ‘सबसे पहले तो, कुछ लोग कोरोना होते ही बहुत डर जाते हैं और तरह-तरह की दवाइयां खाने लगते हैं। स्टेरॉयड भी लोग लेने लगते हैं, लेकिन ये सभी तरह की दवा डॉक्टर की सलाह पर ही लें। हालांकि ये म्यूकरमाइकोसिस डायबिटीज वाले मरीजों में देखने को मिला है। बिना डायबिटीज वालों में ऐसे केस कम आए हैं। इसे काला फंगस और फफूंदी भी कहते हैं। इसका इलाज है, लेकिन इसकी पहचान शुरुआत में होनी चाहिए।’

म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण क्या हैं और कैसे जानें कि इस बीमारी की शुरुआत हो रही है?:- 
डॉ. अनुपम प्रकाश कहते हैं, ‘यह बीमारी घर में रह रहे कोविड मरीजों को जल्दी नहीं होती है। ऐसे लोग जो लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे हैं या उनका डायबिटीज बढ़ गया है, उनमें ये लक्षण आ रहे हैं। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें कोविड होता है और वह अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनमें ही म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण आ रहे हैं। अगर कोई गांव में है और उसे देखने में दिक्कत हो रही है, नाक में भरापन लग रहा है यानी नेजल के अंदर फंगस, जैसा कि ब्रेड के ऊपर होता है, वैसा लग रहा है। ऐसे ही आंखों में भी नजर आएगा। दिमाग में पहुंचने से पहले ही लक्षण पहचान कर इसका इलाज हो सकता है।’

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