राघव चड्ढा ने बेघर लोगों को आश्रय और ठंड से बचाने के लिए शुरू किया “मिशन सहारा”

आर जे न्युज-

आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा ने “मिशन सहारा” की शुरूआत की है। यह बेघर और निराश्रितों की मदद करने वाली एक पहल है। मिशन सहारा के तहत दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड की टीम ने दिल्ली में बेघर लोगों को आश्रय और ठंड से बचने के लिए कंबल उपलब्ध कराए।

सड़कों पर सो रहे लोगों की पहचान करने के लिए टीम बनाई गई है। इस मिशन के अन्तर्गत दिल्ली में जरुरतमंद लोगों को गर्म कंबल देकर आश्रय घर ले जाया जा रहा है। इसके लिए डूसिब वैन के साथ देर शाम सड़कों का निरीक्षण किया जा रहा है।

राघव चड्डा ने कहा, डूसिब की मदद से 24 घंटे सातों दिन यह अभियान चलाया जा रहा है। जरूरतमंदों की पहचान कर संबंधित अधिकारियों को जानकारी देते हैं। इसके अलावा डूसिब की एक मोबाइल ऐप भी है। जहां पर जरूरतमंद लोगों का स्थान चिन्हित कर दिया जाता है ताकि जल्द से जल्द मदद मिल सके।

राघव चड्ढा ने कहा कि मिशन सहारा के माध्यम से उन लोगों तक गर्म बिस्तर पहुंचाने का लक्ष्य है जिन्हें इसकी बड़ी जरूरत है। कई लोगों के लिए रोजाना रात में अस्तित्व की लड़ाई होती है।

गर्म कंबल देकर आश्रय घर में ले जाना उनके संघर्ष को कम करने की दिशा में एक छोटा कदम है।दिल्ली ही नहीं पूरे उत्तर भारत में घने कोहरे और बेहद कम तापमान के कारण सर्दी कड़ाके की हो गई है। मौसम विभाग ने पहले कहा था कि आने वाले दिनों में तापमान में कमी आएगी।

राघव चड्ढा ने कहा कि मिशन सहारा यह सुनिश्चित करने का तरीका है कि किसी को भी कड़ाके की ठंड में बुनियादी जरुरतों के लिए संघर्ष न करना पड़े।

मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में ठंड बढ़ने की संभावना है। मेरा कर्तव्य है कि कि निर्वाचन क्षेत्र में किसी को भी ठंड के मौसम में मुश्किलों का सामन न करना पड़े। मिशन सहारा के जरिए मदद को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि सर्दियां खत्म नहीं हो जाती।

राघव चड्ढा ने कहा कि किसी को सड़कों पर न सोना पड़े और गर्म कपड़ों के बिना न रहना पड़े, इसके लिए कई एजेंसियों के साथ करार किया है।

मुझे यह देखकर बेहद दुख होता है कि बिना गर्म बिस्तरों के कुछ लोग खुले आसमान के नीचे पूरी रात बिताने के लिए मजबूर हैं। इतनी ठंड़ में खुले आसमान के नीचे सोना बेहद कष्टदायक है। यही कारण है कि सीएम अरविंद केजरीवाल के संकल्प अनुसार “मिशन सहारा” शुरू किया है।

रिपोर्ट:- भावेश पिपलिया दिल्ली-एन.सी.आर. ब्यूरो

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