कानपुर बस हादसा : कई जिंदगियों के लिए फरिश्ता बनकर पहुंचे थे सत्येंद्र भदौरिया, बस दुर्घटना को जिसने भी देखा उसके सिहर उठे दिल

उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात में 18 जनवरी को हुए बस हादसे में कई जिंदगियों को सुरक्षित नहर से बाहर निकाल कर अकारू गांव के सत्येंद्र सिंह भदोरिया जिंदगीयों के लिए फरिश्ता बन गए |

कानपुर देहात के मंगलपुर थाना क्षेत्र के जुरिया गांव के समीप झींझक से रूरा की तरफ जा रही प्राइवेट बस जिसमें लगभग 30 से 40 सवारियां थी अभी बस जुरिया गांव के नजदीक पहुंची ही थी. तभी ड्राइवर का बस से नियंत्रण खो गया और बस नहर में जा गिरी. सुरक्षित बचे लोगों के जीवन दाता सत्येंद्र सिंह भदोरिया अपनी बाइक से माती मुख्यालय जा रहे थे और हादसे का शिकार हुई बस के पीछे ही चल रहे थे. अकारू गांव निवासी सत्येंद्र सिंह भदोरिया ने बस को नहर में गिरते हुए अपनी आंखों से देखा. तो उन्होंने अपनी बाइक वहीं पर खड़ी कर तत्काल इसकी सूचना अधिकारियों को दिए और पास के गांव के लोगों को फोन कर मौके पर बुलाया. लेकिन जब तक प्रशासन और गांव के लोग मौके पर पहुंचते तब तक सत्येंद्र सिंह भदोरिया खुद ही बस पर अकेले चढ़ गए. और फंसी सवारियों से कहा की वह धैर्य बना कर रखें |

उनकी मदद के लिए लोग आ रहे हैं. जब तक वह अपना मफलर ऊपर दें जिसके सहारे वह लोगों को ऊपर की तरफ खींच सकें. जब तक ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए तब तक फरिश्ता सत्येंद्र सिंह भदौरिया ने अकेले ही 10 से 12 लोगों को सुरक्षित बस से बाहर निकाल लिया. शायद अगर फरिश्ता सत्येंद्र सिंह भदोरिया बस के पीछे ना चल रहे होते या फिर वह सूझबूझ दिखाकर मदद के लिए आगे ना आते तो यह हादसा एक यकीनन एक बड़े हादसे में तब्दील हो जाता है. तब तक सूचना मिलने के बाद आनन-फानन में चौकी इंचार्ज झींझक आनंद कुमार भी मौके पर पहुंच गए और ग्रामीणों की मदद से मफलर और बांस के सहारे तेजी से नहर से लोगों को बाहर निकालने का कार्य शुरू कर दिया. तब तक प्रशासनिक अधिकारी भी दल बल के साथ मौके पर पहुंच गए और रेस्क्यू शुरू कर दिया गया.

नहर में पानी कम होना बना पीड़ितों के लिए रामबाण

अभी नहर में पानी भी कम था जिसके कारण बस में सवार लोगों के लिए रामबाण साबित हुआ. अगर नहर में पानी अधिक होता तो कई लोगों की जानें जा सकती थी.

दुर्घटना में मृतका की पुत्री अलशिफा को नहीं आई खरोच

अपनी मां के साथ ननिहाल जा रही अलशिफा के सिर से उसकी मां का साया तो उसके सर से उठ गया मंगलपुर थाना क्षेत्र के जुरिया गांव के पास हुए बस हादसे में 32 वर्षीय आसमा बेगम की मौत हो गई. मासूम के चेहरे पर ननिहाल जाने की खुशी थी लेकिन उसे क्या पता कि यह खुशी कुछ ही देर में मातम में बदलने वाली है. मासूम अलशिफा बार-बार लोगों से मां को बस से बाहर निकालने की गुजारिश कर रही थी लेकिन उसको क्या पता कि अब उसकी मां का साया उसके सर से उठ गया है.

शीशे और खिड़की तोड़कर निकालने गए बाहर

तेज रफ्तार बस नहर में जाकर गिर गई बस दरवाजों की तरफ जाकर पलटी जिसके कारण बस के दरवाजा नहीं खुल सके. इसके बाद प्रशासन के साथ स्थानीय लोग राहत कार्य में जुटे और किसी तरह खिड़की और शीशे तोड़ कर लोगों को बाहर निकाला.

बस तेज रफ्तार थी तभी तो खादी पर चढ़कर नहर में गिर गई

बस में सवार लोगों ने बताया कि बस की रफ्तार बहुत तेज थी यह बस झींझक से रूरा की तरफ जा रही थी दोपहर के लगभग 2:00 बजे जुरिया गांव के पास यह बस अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी. बस की रफ्तार का अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि बस डेढ़ से दो फीट ऊंची खादी को चढ़कर नहर में जा गिरी जिसके बाद से कोहराम मच गया तो अकारू गांव के सत्येंद्र सिंह भदोरिया लोगों के लिए फरिश्ता बनकर पहुंचे |

सचिन अग्निहोत्री कानपुर देहात 

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