कल्दा पठार मे फिर नृसंस ह्त्या से दहल गई वन भूमि, दहशत मे आदिवासी, बसाहट कौन होगा गरीबों का तारन हार

आर जे न्यूज़
पूर्वांचल सामन्तो और खनिज माफियाओं की गिरफ्त मे अस्मत खतरे मे।?
गुनौर विधानसभा और पवई विधान सभा का यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के सबसे बड़े पठारो मे जाना जाता है यहा की भौगोलिक स्थिति अकूत वन सम्पदा को उदरस्थ किये है।जीवन रक्षक एवं अमूल्य वनोषधि के आलावा इमारती लकडी लघु वनोपज मफियाऑ की नजरो मे पठार रहा महुवा चिरोजी आवला के साथ बांस जो उच्च किस्म का था जिसकी किस्म केवल श्याम गिरी पहाड मे है।लकडी के कच्चे कोयले की व्यापक पैमाने पर तस्करी हुई।सबसे पहिले सतना के सरदारो ने बहुत चोरी की बाद मे जंगल विभाग की शह पर सागौन की अवेध कटाई हुई।

इतना ही नही बेशकीमती पत्थर जो लचीलेपन की गुण वत्ता युक्त है। जिसकी कीमत अन्तरप्रान्तीय है। यह क्षेत्र लगभग अस्सी के दसक से भू माफिया की नजरो मे चढ़ चुका था। यह बात बिलकुल सत्य है महाजन एवं इज्जत दार पत्थर की खदान नही लगा सकता है।क्यो की ये लूट और हादसो के शिकार हो जाते थे।

जिसके पास सिंह गरजना एवं राज नैतिक पैठ है वही खदान लगा सकता है।यदि यह कहा जाय की सामन्त या अराजक नही है तो इस जंगल मे उसके टाल से पत्थर चोरी कर बेच दिया जाता है। नामी गिरामी ब्रांडो के गुण्डा मवाली अपराधी अबेध उत्खननं कर रहे है। करोडो का राजस्व खनिज बिभाग का खपाया जा रहा है।

आतंकी सरगनओ द्वारा पूरे पठार को गिरवी रख लिया गया है यहा की बसाहट इनके रहमो करम पर आश्रित है।पूर्व सरपंच सरवारा राम सुजान विस्वकर्मा कर्मा की ह्त्या कर दी गईं।ऐसी कई वारदाते हुई जिनको दबा दिया जाता है या षणयन्त्र पूर्वक आदिवासी बलाओ का यौन शोषण कर हत्या कर खाई मे फेक कर स्वाभविक मौत करार दी जाती पूर्व मेआदिवासी बाला जानकी बाई की लाश खदान मे मिली मामले को दबा कर अपराधी बच गया।कई वारदाते घटित हुई और दबा दी गई।

आज पूरा कल्दा पहाड खनिज मफियाऑ सामन्तो हत्या बलात्कारियो की गिरफ्त मे जहा यौन शोषण बाल श्रमिक शोषाण महिला उत्पीड़न का सबसे बड़ा केन्द्र बिंदू है।आये दिन मार पीट पत्थर चोरी अह महत्वाकांक्षा की की टकराहट के कारण हमेशा बन्दूको के धमाके होते चले आये है। जिनके थाना सलेहा मे प्रकरण पंजीकृत हुए चाहे आपसी विवाद हो चाहे बन बिभाग या ठेके दारो के बीच हो मामले जनता के सामने आये है सगरा की गुप्त्ता परिवार मे लगातार तिन बार डकेती जिसमे यहा के लोगो के अस्लिहा पहिचान लिये गये थे।यनि सामन्ती दबाब मे यहा का जन जीवन दहशत जदा है पूरे पहाड मे अवेध खनन जोरो पर है कही खदान स्वीकृत है कही बनभूमि मे पत्थर का उत्खनन हो रहा।

अपनी जीविका या परिवार को पालन पोषण के लिये मुनीम गीरी करने वाले सुजान विस्व्कर्मा जैसी जान गवाते रहेगे अदिवाशी बालाओ की चीख दफन होती रहेगी। आखिर कार कब होगा अन्याय अत्याचार देहिक मानसिक शारिरीक सोषाण का अन्त कल्दा पहाड के जन जीवन का बडा पेचीदा मामला है।सभी राज नैतिक प्राश्रय प्राप्त खनन करता है।

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