सीतापुर : मानक विहीन ईट भट्ठा के प्रति जिला प्रशासन मौन क्यों

मानक विपरीत चल रहे ईट भट्ठों के ऊपर जिला प्रशासन मौन धारण किए हुए कानून जनता जनार्दन की सुरक्षा के लिए तथा पर्यावरण को बचाए रखने के लिए होता है लेकिन सीतापुर जिले में कुल ईट भट्टों में एक सैकड़ा के आसपास नए ईट भट्ठे संचालित हो गए जिनके पास प्रदूषण रॉयल्टी लॆवर फंड जिला परिषद m10 ईजी जो जिला अधिकारी के द्वारा पास होता है जीएसटी एक भट्टे से दूसरे भट्टे की दूरी बस्ती व बाग को ध्यान में रखते हुए तमाम सी बातों को नजरअंदाज करते हुए भट्टों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है|

कारण क्या प्रशासन को जानकारी नहीं या जानकारी होते हुए भी प्रशासन चुप्पी साधे क्या कारण अधिकारियों की सांठगांठ कानूनी तौर पर कागजों को कंप्लीट क्यों मेहरबान प्रशासन लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं कानून सभी के लिए एक समान लेकिन अधिकारी नए भट्टों का संचालन मानक विहीन कानूनी तौर पर कानून का उल्लंघन करते हुए नजर आ रहे क्या जिला प्रशासन मानक विहीन भट्ठा संचालकों के ऊपर कोई कार्यवाही या ठोस कदम उठाएंगे या फिर कानून का उल्लंघन करते रहेंगे भट्ठा संचालक , जिला प्रशासन ईट उद्योग अधिकारियों के पास सारी जानकारी होते हुए भी सरकार के मानक विहीन कानूनी तौर पर अवैध भट्टों का लहरपुर क्षेत्र में धड़ल्ले से संचालन हो रहा सरकार के कानून का उल्लंघन तो कर ही रहे साथ में राजस्व को भी चूना लगाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी यह सब अधिकारियों की जानकारी में हो रहा
जिले में पंजीकृत भक्तों की संख्या कितनी है कितने भट्ठे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं इसकी जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों को है पर कार्रवाई करने के लिए कोई तैयार नहीं इसका मतलब मानक विहीन भक्तों का संचालन करवाने के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से मानक विहीन भक्तों का संचालन हो रहा जब कोई बात आती है तो जिले में बैठे अधिकारी जांच की जाएगी बात कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद पंजीकृत ईट भट्ठों पर नजर डाली जाए तो पर्यावरण की दृष्टि से यह भी मानकों पर खरे नही उतर रहे हैं। शासन द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करने के बाद ही जिला पंचायत विभाग द्वारा ही ईट भट्ठा का लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस जारी होने के बाद इनकी मॉनीटरिंग कर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। इसका भी ध्यान रखा जाता
सूत्रों के अनुसार कुछ भट्ठा मालिकों के पास कई प्रमाण पत्र न होने के बावजूद भी भट्टों का संचालन हो रहा

धुएं से पर्यावरण को खासा नुकसान 

मानक विपरीत चल रहे ईट भट्ठों की चिमनियों से निकल रहे धुएं से पर्यावरण को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा नियमानुसार चिमनियों के नीचे पानी का टैंक के बनाए जाने का प्राविधान है। जिससे उससे निकलने वाले हानिकारक धुएं को कुछ हद तक रोका जा सके। लेकिन शायद ही जिले के ईट भट्ठों पर ऐसे टैंकों का निर्माण हो। इसके साथ ही चिमनियों की डिजायन व ऊंचाई भी निर्धारित है ताकि उससे निकलने वाला धूआं ऊपर ही उड़ कर निकल जाए। इससे पर्यावरण के खतरे के साथ ही हरियाली का नुकसान पहुंचा है। फलदार पेड़ों में फल नही आते हैं और ऊंचाई वाले पेड़ो केले, आम के बाग आदि पर इसका खासा असर पड़ता है।

अधिकारियों की मानें तो जिले में ऐसा कोई ईंट भट्ठा नहीं, जो अवैध व मानक पर खरा हो।
डीएम साहब वर्ष 2020 में भी क्या बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वच्छता प्रमाण पत्र के संचालित होंगे एक भट्ठे जनपद में लगभग 50 परसेंटेज से भरते हैं जिन्होंने 2012 के बाद रिन्यूअल नहीं कराया होगा वहीं पर जनपद में 20 परसेंट ऐसे भक्त हैं जिन्होंने रिन्यूअल की बात दूर भट्ठा मालिकों के द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को खुली चुनौती दे रहे उदाहरण के लिए डीएम साहब हमारे लहरपुर लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक भट्ठे इस तरह संचालित एक पर एक फ्री कहने का मतलब बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वच्छता प्रमाण पत्र के ही हो रहे संचालित जिला अधिकारी महोदय क्या करेंगे कोई बड़ी कार्यवाही

राष्ट्रीय जजमेंट स्पेशल समाचार संवाददाता ओपी शुक्ला की रिपोर्ट, सीतापुर (यूपी)

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