कृषि सुधार कानून -2020 की कुलपति ने बताया वास्तविकता एवं भ्रांतियां

कृषि बिल के भ्रांतियों पर बिंदुवार वास्तविकता- कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह।

कुमारगंज

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह ने कृषि सुधार कानून – 2020 पर किसानों में फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए बिंदुवार वास्तविकता के बारे में अवगत् कराते हुए बताया कि प्रथम भ्रांति यह है कि किसानों को इस कानून से फायदा नहीं होगा जबकि वास्तविकता यह है कि किसान खुद अपने खरीददार का चयन करेगा तथा अपने उत्पाद का मूल्य निर्धारण कर सकेगा।

दूसरी भ्रांति है कि किसानों को अपने कृषि से जुड़े विवाद को सुलझाने का अवसर नहीं मिलेगा , जबकि वास्तविकता यह है कि कानूनी से जुड़े किसी भी विवाद को समयबद्ध तरीके से न्यूनतम लागत पर वहां के क्षेत्रीय उप जिलाधिकारी के स्तर से सुलझाया जा सकता है। तीसरी भ्रांति यह है कि किसानों को समय पर भुगतान नहीं होगा जब कि वास्तविकता यह है कि खरीदार किसानों को उसी दिन अथवा सहमति के अधिकतम 3 दिनों के अंदर उत्पाद का संपूर्ण भुगतान करेगा ।

चौथी भ्रांति है कि किसानों के समूह को कोई फायदा नहीं है , जबकि सभी किसान समूह को केवल एक किसान मान कर ही सारे फायदे दिए जाएंगे। पांचवी भ्रांति यह है कि इस कानून को लागू हो जाने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी नहीं रहेगी जबकि सत्यता यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पूर्व की भांति यथावत जारी रहेगा। छठी भ्रांति है कि भारतीय खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से संग्रहण बंद हो जाएगा जबकि सत्यता यह है कि एफसीआई एवं अन्य सहकारी संस्थाएं पूर्व की भांति संग्रहण करती रहेंगी। सातवीं भ्रांति यह है कि किसानों को अपने उत्पाद को कृषि या विपणन समिति मंडी से बाहर विक्रय हेतु लाइसेंस की आवश्यकता होगी जब की सत्यता यह है कि मंडी पद्धति पूर्व की भांति अनवरत कार्यरत रहेगी।

आठवीं भ्रांति यह है कि कृषि उत्पाद विपणन मंडिया भविष्य में बंद हो जाएंगे जबकि सत्यता यह है कि मंडी समिति पूर्व की भात बनी रहेगी। नवी भ्रांति यह है कि यह कानून राज्य कृषि व्यापार विपणन समिति के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करेगा जबकि सच्चाई यह है कि यह कानून कृषि व्यापार विपणन कानून को जरा भी प्रभावित नहीं करता बल्कि मंडियों के बाहर भी व्यापार हेतु अतिरिक्त आयाम का रास्ता प्रशस्त करता है। दसवां भ्रांति है कि इस कानून में किसान का भुगतान सुरक्षित नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि इस कानून में किसानों के हित को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त रास्ते हैं।

11वी भ्रांति यह है कि इस कानून कृषि भूमि कारपोरेट द्वारा अधिकृत कर ली जाएगी जबकि सत्यता यह है कि कानून यह कहता है कि कानून किसी भी प्रकार की जमीन अथवा अचल संरचना के हस्तांतरण के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है। कुलपति डॉ सिंह ने बताया कि चुकी उत्तर प्रदेश सरकार के लगभग 84% किसानों के पास 1 एकड़ से कम जमीन है जिनके लिए यह कृषि कानून बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा , तथा केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि कानून लागू किया गया है उससे किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण हेतु स्वतंत्रता और मंडी शुल्क में कमी , भंडारण की सुविधा में वृद्धि, कृषि अनुबंध हेतु स्वतंत्रता एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा।

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