मुंबई :अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी के पीछे मुख्य वजह क्या है

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अर्णव गोस्वामी का मुम्बई पुलिस ने आज “गुड़ मॉर्निंग” कर ही दिया। मॉमला 2018 का है, आत्महत्या के लिए उकसाने का धारा 306 का। अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र सीआईडी ने 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक की आत्महत्या की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। अर्णब को अलीबाग ले जाया गया है।जान लें कि अर्नब गोस्वामी का यह मॉमला पत्रकारिता से जुड़ा नहीं है। यह सुशांत सिंह राजपूत जैसा आत्महत्या से जुड़ा है। एक परिवार की बर्बादी की दास्तान है सो यहां पत्रकारिता पर हमले का ज्ञान न उड़ेलें। पत्रकार होने से किसी को किसी को लूट लेने का हक़ नहीं मिल जाता।
2018 में 53 साल के एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच सीआईडी की टीम कर रही है। कथित तौर पर अन्वय नाइक के लिखे सुसाइड नोट में कहा गया था कि आरोपियों (अर्नब और दो अन्य) ने उनके 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया था, इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा। रिपब्लिक टीवी ने आरोपों को खारिज कर दिया था।अन्वय की पत्नी अक्षता ने इसी साल मई में आरोप लगाया था कि रायगढ़ पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से न्याय की गुहार लगाई थी। हालांकि, रायगढ़ के तब के एसपी अनिल पारसकर के मुताबिक, इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे। पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट भी दाखिल कर दी थी।
अक्षता के मुताबिक, अन्वय ने रिपब्लिक टीवी के स्टूडियो का काम किया था। इसके लिए 500 मजदूर लगाए गए थे, लेकिन बाद में अर्नब ने भुगतान नहीं किया। जिससे वे तंगी में आ गए। परेशान होकर उन्होंने अपनी बुजुर्ग मां के साथ खुदकुशी कर ली। अक्षता का दावा है कि काफी कोशिश के बाद अलीबाग पुलिस ने अर्णब समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की, लेकिन आगे क्या हुआ उन्हें नहीं पता।
गिरफ्तारी के दौरान जब अर्नब ने पुलिस वालों के साथ धक्का मुक्की व गाली दी तो पुलिस ने आरोपी को नियंत्रण में लेने के लिए न्यूनतम बल प्रयोग किया। रिपब्लिक टीवी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अर्णव की सलीके से ठुकाई हो गयी है। खबर यह है कि पुलिस के पास अर्नब के विरुद्ध आधा दर्जन नामजद शिकायत और हैं जिनमें उनका रिमांड, पूछताछ, मोबाइल व लेपटॉप की जब्ती होगी। मोबाइल से कई राज खुल सकते हैं।
मीडिया ऐसे तमाम भेड़ की खाल में भेड़िये मौजूद हैं जिन्होंने अपने ऊंचे पद के अहंकार में कइयों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। और अपने धनबल व रसूख के चलते बच गए। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ बड़े पदों पर बैठे लोग ही पत्रकार नहीं हैं। छोटे लोग भी पत्रकार हैं। मुझे अर्नब जैसे लोगों से कोई सहानुभूति नहीं है।

P.K. SINGH

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